इन फर्म्स का भी हो सकता है विलय
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इसके साथ ही पावर सेक्टर की फाइनेंसिंग फर्म पावर फाइनेंस काॅर्पोरेशन (पीएफसी) आैर आरर्इसी लिमिटेड (पहले का नाम रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन काॅर्पोरेशन) का भी विलय होने की संभावना है। पीएफसी में सरकार की 65.64 फीसदी आैर आरर्इसी में 57.99 फीसदी की हिस्सेदारी है। करीब 15 दिन पहले ही यह खबर आर्इ थी की सरकार पीएफसी व आरर्इसी को बेचने के बारे में सोच रही है। इससे सरकार को करीब 14,000 करोड़ रुपए का फायदा होता।
सरकार के सामने है ये रोड़ा
सरकार का लक्ष्य इसके साथ ही एक आैर डील को मिलाकर कुल 21,000 करोड़ रुपए इकट्ठा करने का है। सूत्रों ने यह भी जानकारी दी है कि कुछ बड़े सीपीएसर्इ छोटे सीपीएसर्इ का अधिग्रहण करने के लिए इच्छा जता चुके हैं। हालांकि एनटीपीसी-एसजेवीएन डील को लेकर सरकार सामने एक सबसे बड़ा रोड़ा है। क्योंकि इसमें हिमाचल प्रदेश सरकार की भी 26.85 फीसदी की हिस्सेदारी है। एनएसपीसी लिमिटेड अौर पावर ग्रिड काॅर्पोरेशन लिमिटेड आॅफ इंडिया के विलय की संभावना की भी तलाश की जा रही है।
क्या है जानकारों का कहना
एेसे में सरकार की कोशिश होगी प्रस्तावित विलय की प्रक्रिया को जल्द से जल्द ही पूरा कर लिया जाए क्योंकि अब तक सरकार ने विनिवेश से केवल 10,028 करोड़ रुपए ही जमा कर सकी है। इसको लेकर कर्इ जानकार सभी पीएसयू मर्जर को लेकर इस विनिवेश प्रक्रिया से सहमत नहीं है। इस मामले से जुड़े एक जानकार का कहना है कि यदि सरकार अपने घाटे काे समय रहते हुए कम करना चाहती है तो लंबे अवधि में यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। सरकार को इस बात की भी चिंता करनी चाहिए।