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सरकार का बड़ा खुलासा, कॉरपोरेट घरानों की वजह से डूबा बैंकों का पैसा

locationनई दिल्लीPublished: Oct 26, 2018 03:06:11 pm

Submitted by:

Manoj Kumar

देश में करीब 70 लाख स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे आठ करोड़ परिवार जुड़े हुए हैं। लेकिन, उनकी ओर से लिए गए ऋण में मात्र तीन फीसदी एनपीए है। वे पैसा लेकर भागते नहीं हैं।

Bank NPA

सरकार का बड़ा खुलासा, कॉरपोरेट घरानों की वजह से डूबा बैंकों का पैसा

नई दिल्ली। बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहने वाली केंद्र की मोदी सरकार ने इस बार बड़ा खुलासा किया है। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि बैंकों की अधिकांश एनपीए बड़ी कंपनियों की देन है। शुक्रवार को दिल्ली में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिड्बी) की ओर से लघु ऋण पर आयोजित राष्ट्रीय कांग्रेस में राजीव कुमार ने कहा कि पूरे बैंकिंग सेक्टर के लोन बुक को देखने पर पता चल जाएगा कि बैंकों का एनपीए इस (एसएमई) सेक्टर ने पैदा नहीं किया है। एनपीए मुश्किल से 300-400 बड़े कॉर्पोरेटों ने पैदा किए हैं।
एसएमई सेक्टर के पास केवल तीन फीसदी एनपीए

उन्होंने बताया कि देश में करीब 70 लाख स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे आठ करोड़ परिवार जुड़े हुए हैं। लेकिन, उनकी ओर से लिए गए ऋण में मात्र तीन फीसदी एनपीए है। वे पैसा लेकर भागते नहीं हैं। कुमार ने कहा कि विकास सबके लिए होना चाहिए। यह एक बड़ा मुद्दा है। सिड्बी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि सिडबी ने ‘मास मार्केट’ तक पहुंच बनाने की योजना तैयार की है जिसके तहत आम लोगों को उनकी जरूरतों के लिए ऋण दिया जा सकेगा। मैकेंजी एंड कंपनी के रेनी थॉमस ने एक प्रस्तुतिकरण में बताया कि देश में अब भी 19 करोड़ से ज्यादा लोग बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं। इस क्षेत्र में लघु ऋण कंपनियों के पास अच्छा अवसर है।
बैंकों को ढील देने के मूड में नहीं सरकार

कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बात करते हुए वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि सरकार बैंकों को किसी प्रकार की ढील देने के लिए नहीं, बल्कि द्रुत सुधार प्रक्रिया (पीसीए) को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए इसमें बदलाव करना चाहती है। कुमार ने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि हम किसी प्रकार की छूट या राहत के पक्ष में नहीं हैं। यदि किसी (बैंक) को राहत दी जाती है तो वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा। मौजूदा मानक कुछ कठोर हैं और हम सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय मानकों के समतुल्य बनाया जाए। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष की 30 सितम्बर को समाप्त तिमाही के सभी सरकारी बैंकों के परिणाम आ जाने के बाद सरकार सार्वजनिक बैंकों के पुन: पूंजीकरण की प्रक्रिया को फिर आगे बढ़ाएगी।
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