सही तरीके से तौयर हो कंपनियों का र्इसीआर रिपोर्ट
दरअसल, EPFO के एक अधिकारी ने एडिशनल पीएफ कमिश्नर आैर रीजनल पीएफ कमिश्नर को एक सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर के मुताबिक, ये जरूरी है कि कंपनी के र्इ-चालान यानि र्इसीआर में नाॅन कंट्रीब्यूटरी पीरियड को सही तरीके से दिखाया जाए। साथ ही ये भी जरूरी है कि कंपनी खासकर उन कर्मचारियों के प्राॅविडेंट फंड में कम सैलरी के अपेक्षा फुल वर्किंग पीरियड पर कंट्रीब्यूट करे।
वेज एनालिसिस रिपोर्ट की मदद से होगी जांच
इस सर्कुलर में जिक्र है कि इसकी निगरानी के लिए CAIU अपने डैशबोर्ड में भत्ते की एनालिसिस की रिपोर्ट भी मुहैया कराएगी। इससे जोनल स्तर पर आैर रीजनल स्तर पर र्इपीएफआे अधिकारी अपने क्षेत्र की भत्ता एनालिसिस रिपोर्ट देख सकेंगे। इसी रिपोर्ट के आधार पर वे जरूरी कदम उठाएंगे। इस रिपोर्ट में हर कंपनी या मेंबर्स की एक खास स्लैब में डिटेल होगी। इसी के आधार पर उन मेंबर्स के डिटेल को वेरिफार्इ किया जाएगा जिनका जीरो वेज होगा आैर फिर अगले स्लैब का भी वेरिफिकेशन होगा।
कर्मचारियों को होगा फायदा
इस सर्कुलर के मुताबिक उन कंपनियों या एस्टैब्लिशमेंट की भी जांच की जाएगी जहां बड़ी संख्या में कर्मचारियों को जीरो वेज दिया जाता है या जिनकी सैलरी असामान्य तौर पर बहुत कम होगी। यदि जांच में पाया जाता है कि कर्मचारी के पीएफ में सैलरी को कम दिखाकर उनके पीएफ खाते में कम कंट्रीब्यूशन किया जा रहा है या पीएफ कंट्रीब्यूशन बिल्कुल भी नहीं किया जा रहा है तो इनके आकलन के बाद जल्द से जल्द ही रिकवर किया जाएगा। क्या यह कानून लागू हो पाएगा, या फिर इसके लागू होने से कितने कर्मचारियों को लाभ होगा, इसका पता तो आने वोल वक्त में मिल ही जाएगा। एेसे में यदि ये नियम लागू हो जाता है तो सरकारी एवं प्राइवेट क्षेत्र के कर्इ कर्मचािरयों को इससे फायदा मिलेगा।