एजेंसी के अनुसार, शिकायतकर्ता क्षेत्र में विभिन्न बिजली की कंपनियों को ठेके पर मजदूरों की आपूर्ति करता है और कर्मचारियों के लिए नियमित तौर पर ईपीएफओ नागपुर कार्यालय में भविष्य निधि (पीएफ) का भुगतान करता है। पहाडे ने उसके कार्यालय का दौरा किया और उससे बीते पांच सालों के विभिन्न रिकॉर्ड की मांग की, जिसे जांच के लिए दिया गया था। बाद में जब शिकायतकर्ता ने पीएफ ऑडिट की स्थिति के बारे में जानकारी के लिए पहाडे से उनके दफ्तर गया तो अधिकारी ने कथित तौर पर सात साल के ऑडिट को बिना किसी बाधा के मंजूरी देने के लिए 350,000 रुपये के रिश्वत की मांग की।
शिकायतकर्ता के रिश्वत देने से इनकार करने के बाद पहाडे ने कहा कि वह रकम के बारे में चर्चा व बातचीत के लिए उसके दफ्तर आएंगे। इसके बाद पहाडे कटौती करने पर सहमत हुए और 300,000 में मामले को निपटाने के लिए तैयार हो गए। इसकी पहली किस्त 50,000 रुपये थी। ठेकेदार की शिकायत के बाद सीबीआई ने जाल बिछाया और पहाडे को रिश्वत लेते हुए दबोच लिया।
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