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नोटबंदी की दूसरी वर्षगांठ से पहले हुआ चौंकाने वाला खुलासा, मार्च में हो चुका था बड़ा काम

Published: Nov 06, 2018 02:15:07 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

आरबीआर्इ ने एक आरटीआर्इ के जवाब में बताया है कि नोटबंदी के बाद वापस आए 15,310.73 अरब रुपयों को नष्ट करने की प्रक्रिया को मार्च में खत्म कर दिया गया था।

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नोटबंदी की दूसरी वर्षगांठ से पहले हुआ चौंकाने वाला खुलासा, मार्च में हो चुका था बड़ा काम

नर्इ दिल्ली। 8 नवंबर को 2016 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा के तहत 500 आैर 1000 रुपए के नोटों को बंद करने का एेलान दे दिया था। जिसके बाद देश में कर्इ माध्यमों से नित नए खुलासे हो रहे हैं। दो दिनों के बाद देश के नोटबंदी की दूसरी वर्षगांठ है। उससे पहले जो चौंकाने वाला खुलासा हुआ है उसे जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। आरबीआर्इ ने एक आरटीआर्इ के जवाब में बताया है कि नोटबंदी के बाद वापस आए 15,310.73 अरब रुपयों को नष्ट करने की प्रक्रिया को मार्च में खत्म कर दिया गया था। आरबीआर्इ ने वैसे इस बात का खुलासा नहीं किया है कि उन्हें नष्ट करने में आरबीआर्इ को कितना रुपया खर्च करना पड़ा।

सूचना का अधिकार अधिनियम से मांगा गया था जवाब
मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ आरबीआई के मुद्रा प्रबंध विभाग से 29 अक्टूबर आरटीआर्इ के माध्यम से विमुद्रित नोटों को नष्ट करने के बारे में जानकारी मांगी थी। गौड़ की आरटीआई अर्जी पर आरबीआई के एक आला अधिकारी ने जवाब दिया है कि मुद्रा सत्यापन एवं प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) की मशीनों के जरिए 500 एवं 1,000 रुपए के नोटों को नष्ट किया गया है। यह प्रक्रिया मार्च अंत तक खत्म हुई थी। आरटीआई के तहत यह भी जानकारी दी गर्इ कि आठ नवंबर 2016 को जब नोटबंदी की घोषणा की गर्इ, तब आरबीआई के सत्यापन और मिलान के मुताबिक 500 और 1,000 रुपए के कुल 15,417.93 अरब रुपए मूल्य के नोट चलन में थे। विमुद्रीकरण के बाद इनमें से 15,310.73 अरब रुपए मूल्य के नोट बैंकिंग प्रणाली में लौट आए हैं। यानी अभी तक नोटबंदी के बाद केवल 107.20 अरब रुपए मूल्य के डिमोनेटाइज करंसी बैंकों में नहीं लौटी है।

खर्च के बारे में नहीं दी जानकारी
गौड़ ने अपनी आरटीआई अर्जी के जरिए यह जानकारी हासिल करने की कोशिश की थी कि विमुद्रित बैंक नोटों को नष्ट करने में आरबीआर्इ ने कितना खर्चा किया। आरबीआर्इ ने जवाब देते हुए कहा कि यह सूचना जिस रूप में मांगी गर्इ है, उस रूप में हमारे पास उपलब्ध नहीं है तथा इसे एकत्र करने में बैंक के संसाधन असंगत रूप से विपथ होंगे। अतः मांगी गई सूचना आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा सात (9) के अंतर्गत प्रदान नहीं की जा सकती है।

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