भोलेनाथ के भक्त हर जगह मौजूद है। फिर चाहे वो देश हो या विदेश। तभी तो रोम के एक पूरे शहर को शिवलिंग का आकार दे दिया गया। इस जगह का नाम वेटिकन सिटी है। ये दुनिया का सबसे छोटा शहर है।
इटली के रोम में स्थित वेटिकन सिटी शिव का भक्त है। तभी तो पूरे शहर को शिवलिंग का रूप दिया गया है। बताया जाता है कि सदियों पहले यहां खुदाई के दौरान एक शिवलिंग मिला था।
इस बात की पुष्टि इतिहासकार पी.एन.ओक ने अपने शोध में किया। उनके मुताबिक कई साल पूर्व यहां नवीनीकरण के सिलसिले में खुदाई की जा रही थी। तभी जमीन से एक प्राचीन शिवलिंग प्राप्त हुआ था। लोगों की आस्था को देखते हुए इस शहर को शिव की नगरी के रूप में बसाया गया।
खास बात यह है कि उस दौरान खुदाई में मिला वह पा्रचीन शिवलिंग आज भी वेटिकन सिटी के संग्रहालय में मौजूद है। इसे देखने एवं दर्शन के लिए दूर—दूर से लोग आते हैं।
वेटिकन सिटी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसकी ऊपर से तस्वीर लेने पर शहर के बीच में त्रिपुंदरा यानि भगवान शिव के मस्तक में मौजूद तीन रेखाएं दिखाई देती हैं। इसके अलावा इन तीन लकीरों के बीच में गोलाकार बिंदू में दिखाई देता है। जिसे शहर में पिआजा सैन पिट्रो नाम दिया गया है।
इस विदेशी शहर का नाम भी भारतीय संस्कृति से ही लिया गया है। वेटिकन का नाम संस्कृत भाषा के वाटिका से संबंधित है। ये सब इस बात का प्रमाण है कि वेटिकन सिटी का भारत से बहुत जुड़ाव है।
वेटिकन सिटी दुनिया का सबसे छोटा देश है। इसका कुल क्षेत्रफल 0.2 वर्गमील है। इसकी कुल आबादी या जनसंख्या लगभग 770 है। वेटिकन सिटी में बसने वाले सभी व्यक्ति इस देश के पक्के नागरिक नहीं है।
वेटिकन सिटी में आज भी पुरानी सदी की कई परंपराएं चल रही है। जिसके तहत यहां के गार्ड आज भी 16 वीं सदी में डिजाइन की गई वर्दी पहनते है। उनकी ये ड्रेस माइकल एंजलो नामक व्यक्ति ने की थी।
ये शहर इटली का हिस्सा होने के बावजूद एक स्वतंत्र देेश माना गया है। इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है। यहां की मातृ भाषा लैटिन है, लेकिन यहां इटली की भाषा का भी चलन है। इस देश पर पोप शासन करते है। इस शहर की अपनी करंसी है जो इटली में भी मान्य है।
ब्रिटेन के इंसायक्लोपीडिया के मुताबिक इटली का नाम पहले इट्रूरिया था। ये बात करीब दूसरी से सातवीं शताब्दी के बीच की है। कुछ लोग पहले इसे इट्रूस्कैन के नाम से भी बुलाते थे।