वैसे तो लोग अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए घाटों पर स्नान करते हैं और वाराणसी के घाट की तो महिमा ही निराली है। यहां बहने वाली मां गंगा में डुबकी लगाने का हर श्रद्धालू इंतजार करता है, लेकिन यहां एक ऐसा भी घाट है जहां दम्पत्तियों का साथ स्नान करना किसी खतरे से खाली नहीं है। तो क्या है इसकी वजह आइए जानते हैं।
वाराणसी में गंगा किनारे करीब 84 घाट बने हुए है। हर घाट का अपना अलग महत्व और पहचान है। सभी से कोई न कोई पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। इन्हीं घाटों में से एक है कुवाई घाट।
कहते हैं कि इस घाट में पति—पत्नी के साथ स्नान करने से पाप धुलने की बजाय उनके संबंधों में दरार आ जाती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि विवाहित दम्पत्ति यहां स्नान करके वापस जाते हैं, तब से उनमें मतभेद शुरू हो जाते हैं।
पति—पत्नी के विचारों में असंतुलन आ जाता है। जिसके चलते दोनों में लड़ाई—झगड़े होते रहते हैं। कई बार तो बात इतनी बढ़ जाती है कि रिश्ता टूटने की नौबत आ जाती है।
कुवाई घाट को स्थानीय लोग 'पत्नी मुक्ति' घाट भी कहते हैं। क्योंकि यहां स्नान करने से पत्नी से संबंध विच्छेद हो जाता है, इसलिए कुछ लोग इसे उपहास के तौर पर भी देखते हैं। कई पत्नी पीड़ित पति अपनी बीवी से छुटकारा पाने के लिए यहां आते हैं।
पुरोहितों के मुताबिक इस घाट का निर्माण उन्नीसवीं सदी के बीच हुआ था। घाट बनाने से पहले यहां नारदेश्वर(शिव) मंदिर का निर्माण करवाया गया था। इस मंदिर की स्थापना देवर्षि नारद ने की थी। तभी से इस घाट का नाम नारद पड़ गया।
इस घाट में पति—पत्नी के साथ स्नान करने से कैसे उनमें मतभेद होते हैं इस बात की सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है, लेकिन मंदिर के पुजारियों के मुताबिक नारद मुनि ब्रम्हचारी थे। उन्होंने इस घाट का निर्माण कराया था। इसलिए यहां दम्पत्तियों का स्नान करना शुभ फलदायी नहीं है।varanasi ghaat
बताया जाता है कि इस घाट में पति—पत्नी साथ स्नान न करें इसके लिए घाट के पास पुजारी एवं मंदिर से संबंधित अन्य लोग बैठे रहते हैं। वे घाट की ओर जाने वाले दम्पत्ति को इस बारे में आगाह करते हैं और साथ स्नान न करने की सलाह देते हैं।
नारद घाट का पहले नाम कुवाई था। जो कि उन्नीसवीं शताब्दी से पहले रखा गया था। बाद में नारद जी के शिव मंदिर बनवाने के बाद से घाट को नारद घाट के नाम से भी जाना जाने लगा।
कुवाई घाट के अलावा यहां बनें अन्य घाटों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। यहां गंगा नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति को आत्म—शांति मिलती है और उसके जीवन में सुख—समृद्धि आती है।