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गणपति के इन अंगों की करें पूजा, किस्मत के सितारे हो जाएंगे बुलंद

Published: Sep 13, 2018 10:57:26 am

Submitted by:

Soma Roy

मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए ग्रहस्थों को गणेश जी के इस स्वरूप की करनी चाहिए पूजा

ganesha

गणपति के इन अंगों की करें पूजा, किस्मत के सितारे हो जाएंगे बुलंद

नई दिल्ली। पूरे देश में आज गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। 11 दिनों चलने वाले इस पर्व में हर कोई बप्पा को खुश करना चाहता है और उनसे मनोवांछित फल पाना चाहता है। अगर आप भी गणपति से ऐसी ही कामना करना चाहते हैं तो उनके विभिन्न अंगों की पूजा करें।
1.गणेश जी के शरीर में पूरा ब्रम्हांण बसता है। उनके शरीर का प्रत्येक अंग अलग-अलग चीजों को दर्शाते हैं। उनके विभिन्न भागों की पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं। इससे नौकरी से लेकर जल्दी शादी होने तक की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
2.गणेश जी के पूजन में उनकी सूंड का विशेष महत्व है। उनकी सूंड तीन प्रकार की होती है। जो दाएं, बाएं और मध्य में होती है। ग्रहस्थों को उनके बाईं ओर वाले स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणपति के सूंड के पूजन से भक्तों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
3.गणेश जी सूंड के महत्व का वर्णन पौराणिक धर्म ग्रंथों में भी है। गजानन के सूंड को उनके शरीर के सबसे पवित्र अंगों में से एक माना जाता है। तभी वो अपनी सूंड में जल भरकर ब्रम्हा जी को अर्पित करते हैं।
4.अगर आप मुसीबतों से बचना चाहते हैं और जीवन में तरक्की पाना चाहते हैं तो गजानन के पेट की पूजा करें। उनका उदर बुरी बातों को पचाने का प्रतीक है। लिहाजा उनके पेट की पूजा करने से आपके जीवन में सारी बाधाओं को गणेश जी खुद हर लेंगे।
5.गणपति को स्वादिष्ट भोजन करना बेहद पसंद है इसलिए उन्हें चतुर्थी के दिन मोदक भेंट करने से शुभ फल मिलता है। मोदक उनके उदर में जाते ही वे प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी प्रसन्नता से आपके जीवन में खुशहाली आएगी।
6.अगर आप अपनी सोयी हुई किस्मत को जगाना चाहते हैं तो गजानन के कानों की पूजा करें। क्योंकि लंबोदर के कान शुभता का प्रतीक माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक लंबे कान वाले बुद्धिमान एवं भाग्यशाली समझे जाते हैं। इसलिए गणपति के इस अंग की पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है।
7.मान्यता है कि गजानन के कानों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए मूषक का सहारा लिया जाता है और उनके कहने पर गणेश जी आपकी फरियाद सुनते हैं। ऐसे में गजानन के कान विशेष महत्व रखते हैं। उनके इस अंग की पूजा करने से वो आपके मन की सारी बातें सुन लेते हैं और आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
8.गणेश जी की पूजा उनकी दोनों पत्नियों ऋद्धि-सिद्धि के साथ करना भी अच्छा माना जाता है। ये सौभाग्य का प्रतीक होती हैं। इनके पूजन से घर में समृद्धि आती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
9.ग्रहस्थों को चतुर्थी के दिन गणेश जी को कभी अकेले स्थापित नहीं करना चाहिए। उन्हें उनकी पत्नियों के साथ विराजना चाहिए। ऐसा करने से परिवार में सौहार्द का महौल रहता है और घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
10.गणेश जी की पूजा उनके वाहन मूषक के साथ भी करनी चाहिए। क्योंकि जिस तरह भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है, उसी तरह चूहा भी अपनी बुद्धि और कुशलता से दूसरों को चकमा दे जाता है। मूषक की इन्हीं खूबियों के चलते गजानन ने उन्हें अपनी सवारी बनाया है। गणपति का पूजन मूषक के साथ करने से व्यक्ति हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम बनता है।

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