पुलिस ने कंपनी के डायरेक्टर्स के खिलाफ धारा ४२०, ४०९, १२० बी, ३४, ३, ४, ५, ६ और चिटफंड अधिनियम व छत्तीसगढ ़निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम की धारा १० के तहत जुर्म दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि जेल के अंदर बंद यश ग्रुप के संचालक अमित श्रीवास्तव ने दूसरी नई कंपनी महाकालेश्वर को -ऑपरेटीव सोसायटी लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन दिल्ली से करा लिया और इसकी ऑफिस बेमेतरा में डाल दिया।
यश ग्रुप के 9 कर्मचारियों को डायरेक्टर बना दिया। इसके बाद उन निवेशकों के पैसे को उक्त कंपनी में ट्रांसफर करा दिया जो सिर्फ पेपर में ही हुआ। जांच में पाया गया कि एजेंट के माध्यम से देवकर, साजा, परसबोड़ और सहसपुर लोहारा के ग्रमीणों से अपनी उक्त कंपनी में रकम जमा करवाकर धोखाधड़ी करने लगा। उन्हें झांसा देता रहा कि जेल से छूटकर जमीन बेच कर पूरा पैसा वापस कर देंगे।
देवकर पुलिस ने इस तथाकथित कंपनी में पैसा जमा करने वाले ६५ लोगों से रसीद बरामद किया है। महाकालेश्वर को-ऑपरेटिव सोसायटी कंपनी देवकर में अशोक साहू के घर में संचालित थी। केलाबाड़ी निवासी एसआर कुरैशी दुर्ग एरिया मैनेजर बनकर लोगों की गाढ़ी कमाई को लाता था।
रतन वाघावन कंप्यूटर ऑपरेटर चेयरमैन
लक्ष्मी शुक्ला कंपनी का कैशियर वाइस चेयरमैन
तराना परवीन डायरेक्टर फिमेल निज सहायक
पलक टंडन डायरेक्टर फिमेल डायरेक्टर पूजा टंडन की बहू
विशाल जाधव डायरेक्टर ऑफिस मेंटेनेंस देखता था
ममता बाघमारे डायरेक्टर ऑफिस में झाडू पोछा करती थी
मनीष टंडन डायरेक्टर ऑफिस मेंटेनेंस का काम
विक्की सराठे डायरेक्टर जो अमित के घर का नाई और घरेलू काम करता था
करण वाधवन डायरेक्टर कंप्यूटर ऑपरेटर का छोटा भाई जो नाबालिग था।