रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर होगा। इस एतिहासिक खागोलीय घटना के वक्त चंद्रमा नारंगी या लालिमा लिए नजर आएगा और इसकी दुधिया रोशनी में लालिमा घुली होगी। सुबह पांच बजकर 47 मिनट 38 सेकेंड पर चांद से धरती की धुंधली छाया भी खत्म हो जाएगी। खगोल वैज्ञानिकों को इस घटना का बेसब्री से इंतजार है। इस आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी। सबसे खास बात यह कि इस दौरान चंद्रमा धरती के नजदीक और आकार में अपेक्षाकृत बड़ा दिखाई देगा। (Durg news)
यह इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है, जो अरु णाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा जा सकेगा। लेकिन, देश के पूर्वी हिस्सों जैसे बिहार, असम, बंगाल और ओडिशा में चंद्रमा ग्रहण की अवधि में ही अस्त हो जाएगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक, हाफ ब्लड मून इक्लिप्स ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका समेत यूरोप के कई हिस्सों में दिखाई देगा। एशिया की बात करें तो भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, सिंगापुर, फिलिपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ ईरान, इराक, तुर्की और सऊदी अरब में भी यह नजारा दिखाई देगा।
इस साल का पहला चंद्रग्रहण 20 और 21 जनवरी की दरम्यानी रात को लगा था। यह पूर्ण चंद्रग्रहण था जिसे वैज्ञानिकों ने सुपर ब्लड वुल्फ मून नाम दिया था। इसे यह नाम इसलिए दिया गया था क्योंकि ऐसे चंद्रग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है। वुल्फ मून का नाम नेटिव अमेरिकी जनजातियों ने रखा, क्योंकि सिर्दयों के दौरान खाना ढूंढ़ते भेडि़ए चिल्लाते हैं। यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया था। लेकिन, अमेरिका, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, नार्वे, स्वीडन, पुर्तगाल, फ्रांस और स्पेन में लोग इस अद्भुत नजारे के साक्षी बने थे। इस बार नंबर भारत का है, जहां लोगों को सुपर ब्लड वुल्फ मून जैसा ही नजारा दिखाई देगा।
इस बार के चंद्रग्रहण का छत्तीसगढ़ पर खासा प्रभाव पड़ रहा है। पंडितों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की राशि धनु है। इसी राशि में चंद्रग्रहण लग रह है। ऐसे में प्रदेश में प्राकृतिक आपदा की आशंकाएं हैं। इसके अलावा प्रदेश में अकाल जैसी भी स्थिति बन सकती है।
ग्रहण काल को अशुभ माना गया है। सूतक की वजह से इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है। ग्रहण के वक्त शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं। साथ ही ग्रहण खत्म होने के बाद नहाकर गंगा जल से घर का शुद्धिकरण किया जाता है। उसके बाद फिर पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा देने का विधान है।
सुपर ब्लड थंडर मून के दौरान चंद्रमा पृथ्वी के करीब आ जाता है जिससे इसका आकार बाकी दिनों की तुलना में बड़ा दिखाई देता है। चंद्रमा का आकार बड़ा होने और रंग लाल होने के कारण ही इसे सुपर ब्लड मून नाम दिया गया है। चूंकि, इस बार का सुपर ब्लड थंडर मून इक्लिप्स आंशिक है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इसे हाफ ब्लड थंडर मून इक्लिप्स नाम दिया है। थंडर शब्द दुनिया भर में चल रही प्राकृतिक घटनाओं से आया है। (Durg news)