सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court ) ने देशभर के कारागारों के निरीक्षण का आदेश दिया है। दरअसल कारागार मेंं नाबालिग होने की वास्तविकता सामने लाने के लिए यह निरीक्षण कराया जा रहा है। इसके चलते महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम दुर्ग केंद्रीय कारागार पहुंची। करीब चार घंटे तक टीम वहां रही।
इस बीच टीम बैरक में भी गई और बंदियों से मिली। टीम को 70 बंदी ऐसे मिले जो कम उम्र के लग रहे थे। इनसे पूछताछ के 65 ने खुद के नाबालिग होने का दावा किया, लेकिन जन्म, उम्र संबंधी अलग-अलग सवालों के बाद 5 बंदी नाबालिग होने का अनुमान लगाया गया।
महिला एवं बाल विकास ने जेल में निरीक्षण करने की सूचना विधिवत जेल के अधिकारियों को दी थी। कमेटी में शामिल सभी लोगों को जेल मैनुअल का पालन करने के बाद ही प्रवेश दिया गया। विधिवत जांच के बाद जेल के अधिकारियों ने मोबाइल मुख्य गेट पर ही जमा करा लिए थे।(Durg news)
सुनिल कुमार वर्मा, विधिक सह परिविक्षा अधिकारी, संरक्षण अधिकारी प्रीति डांगरे, सामाजिक कार्यकर्ता, ललिता चंद्राकर अधिवक्ता, किशोर कुमार यादव अधिवक्ता, डॉ. केसी भगत मनोवैज्ञानिक जांच अब हर तीसरे माह होगी
विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी सुनिल कुमार ने बताया कि जांच अब हर तीसरे माह में होगी। संदेह होता है तो उसकी जांच कराई जाएगी। सत्यापन का कार्य विभाग के आउट विथ वर्कर करेंगे। कोई जिले से बाहर का मिलता है तो उस व्यक्ति के नाम व पता संबंधित जिला के विधिक सह परिविक्षा अधिकारी या फिर जिला बाल कल्याण अधिकारी को जांच करने पत्र लिखा जाता है। दुर्ग केन्द्रीय जेल में चांपा का एक आरोपी निरुद्ध है। उसने अपनी उम्र 18 से कम बताई है। इस मामले में चांपा के बाल सरंक्षण अधिकारी को पत्र लिखा गया है। (Durg news)