सरला ने बताया कि उसके भाइयों ने मां रामप्यारी यादव को लावारिस हालत में छोड़ दिया है। उसके नाम पर शंकर नगर स्थित 50 लाख कीमत के मकान पर दोनों भाईयों ने कब्जा कर लिया है। भाइयों के रवैये को देखकर सरला ने अपनी मां को न केवल सहारा दिया है, बल्कि भाईयों के खिलाफ रायपुर एसडीएम संदीप कुमार के न्यायालय में परिवाद भी प्रस्तुत किया है।
दो बार समंस जारी होने के बाद तामिल नहीं होने पर सरला यादव ने एसडीएम न्यायालय से अर्जेट समंस तामिल लेकर दुर्ग आई थी। मंगलवार को एसपी के माध्यम से समंस को तामिल कराया। मामले की सुनवाई बुधवार को रायपुर एसडीएम कोर्ट में होगी। जिसमें दोनों भाईयों को अनिवार्य रुप से उपस्थित रहने कहा गया है।
अधिवक्ता सरला ने बताया कि उनका भाईयों से कोई बैर नहीं है। पिता की संपत्ति में भी उसे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन जिस तरह भाइयों ने मां को दाने-दाने के लिए मोहताज किया, इसलिए वह मां के साथ है और मां की ओर से स्वयं पैरवी कर रही है।
अधिवक्ता कौशल किशोर सिंह ने बताया कि रामप्यारी के पति संतराम यादव ने अपने जीवनकाल में एक वसीयत लिखा था। वसीयत का पंजीयन भी कराया गया था। जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि मृत्यु के बाद शंकर नगर स्थित आवास पर मालिकाना हक उसकी पत्नी रामप्यारी होगी। दोनों भाईयों ने इस वसीयत को भी दुर्ग जिला न्यायालय में चुनौती दी है।
रामप्यारी के नाम ग्राम तिल्दा (रायपुर) में कृषि जमीन और कच्चा मकान है। जिसे १४०० रुपए प्रतिमाह के हिसाब से किराए पर दी है। रामप्यारी का इसी रुपए से गुजारा होता है। सरला ने बताया कि इस राशि को लेने के लिए भी दोनों भाईयों ने किराएदार से विवाद किया। अधिवक्ता ने बताया कि पिता के देहांत होने के बाद से ही मां तकलीफ में है। मां ने कभी अपनी तकलीफ नहीं बताई। वह केवल इतना चाहती है कि उसके पिता ने जो मकान बनाया है उसी जगह एक कोने में वह रहेगी, पर दोनों भाईयों ने उसे घर से ही निकाल दिया।
अधिवक्ता व पीडि़ता की बेटी सरला यादव ने बताया कि मां वृद्ध है। भाइयों ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा है। इसकी शिकायत 9 दिसंबर 2013 को दुर्ग एसपी से की थी। कार्रवाई न होने पर भाईयों के खिलाफ माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 4 के तहत एसडीएम रायपुर न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया। समंस तामिल नहीं हो रहा था इसलिए अर्जेंट समंस लेकर आना पड़ा।