वन विभाग के अधिकारियों ने आरोपी दुकान संचालक से पूछताछ की। जिसमें उसने यह कारोबार लंबे समय से करना स्वीकर किया है। दुकान संचालक ने यह खुलासा किया है कि इन सामानों की सप्लाई एजेंट करता है। हर बार अलग-अलग एजेंट आते हैं। वह एजेंट के माध्यम से सामानों की खरीदी करता है। जड़ी बूटी की आड़ में वह अधिक मुनाफा के लालच में यह कारोबार कर रहा था। हर पंद्रह व महिने में एजेंट आर्डर लेकर जाते थे।
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जड़ी-बूटी की आड़ में समुद्री पौधे और वन्य जीव छत्तीसगढ़ में अलग अलग राज्यों से लाया जाता है। एजेंट भी अलग अलग है। आरोपी से पूछताछ में यह बात सामने आई है कि दक्षिण भारत, ओडिसा और नेपाल से सामान चोरी छिपे लाया जाता है।
कुछ दिनो पहले रायपुर में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई थी। इसके बाद से वन विभाग के अधिकारी यहां भी कार्रवाई करने के लिए जानकारी एकत्र कर रहे थे। जब पुख्ता जानकारी मिली तब विभाग के अधिकारियों ने हनुमाना लाला किराना व जड़ीबूटी दुकान में दबिश दी। अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ में सरगना के नाम का खुलासा नहीं हुआ है पर इतना पता चला है कि वह दूसरे राज्य का है।
कछुआ की खाल और हाथीदांत को चूर्ण किस काम आता है और दुकान से कौन लोग खरीद कर ले जाते हैं यह खुलासा आरोपी ने नहीं किया है। यह ऊंचे दाम पर बिकता है। जाहिर है इसकी मांग करने वाले भी बड़े लोग होंगे। अधिकारियों का कहना है कि इन सामानों को खरीदने वाले भी नियमित ग्राहक हो सकते हैं। जिसका खुलासा दुकानदार ने नहीं किया।
इस मामले में वन विभाग ने अनाज व जड़ी बूटी व्यापारी सिद्धार्थ गुप्ता के खिलाफ वन्य प्राणी अधिनियम की धारा ३९ व ४० के तहत प्रकरण तैयार दर्ज किया है। दोनों धाराएं गैरजमानती है। अपराध प्रणाणित होने पर इस धारा के तहत ३ साल कारावास और २५ हजार जुर्माना का प्रवधान है।
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जब्त सामान का सैंपल जांच के लिए वन्यप्राणी प्रयोगशाला देहरादून भेजा जाएगा। जांच रिपोर्ट लगभग एक माह बाद आएगा। जांच रिपोर्ट साक्ष्य का काम आएगा। जिसमें इस बात का खुलासा होगा कि जब्त सामान असली है कि नकली।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दुर्ग-भिलाई में आधा दर्जन से अधिक जड़ी-बूटी की दुकानें हैं। विभाग ऐसे दुकानों के बारे में जानकारी एकत्र कर रहा है। अवैध कारोबार करने का प्रमाण मिलने पर विभाग ऐसे दुकानों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा।