घरों में खाना बनाकर जीवन यापन करने वाली सविता शर्मा का कहना था कि बेटे की गंभीर होने की सूचना देते ही गोंडवाना एक्सप्रेस के टीटी ने उसे यह कहते हुए दोपहर 1.25 बजे दुर्ग स्टेशन में उतार दिया कि यहां पर डॉक्टर की सुविधा मिलेगी। तब उसके बेटे की सांसें चल रही थी। इसके बाद वह स्टेशन में कोई डॉक्टर बुला देने की मिन्नते करती रही। किसी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। मजबूरी में जैसे तैसे उसने 112 टोल फ्री नंबर पर संजीवनी एक्सप्रेस भेजने कॉल किया। इसके बाद भी उसे सुविधा नहीं मिली। आखिर में कुछ देर बाद उसके बेटे की सांसे थम गई।
महिला ने बताया कि वह अपने बेटे के साथ रिश्तेदार के यहां हिसार (हरियाणा) गई थी। तत्काल टिकट लेकर वे 15 अक्टूबर को गोंडवाना एक्सप्रेस में बैठे थे। रास्ते में उसके बेटे नितिन की तबीयत बिगड़ गई। वह शुगर का मरीज था। भोपाल स्टेशन में उसकी डॉक्टर (Doctor) से जांच कराई तब शुगर 306 आया था। इसके बाद उसकी तबियत बिगड़ती गई। वह जैसे तैसे रायपुर पहुंचना चाहती थी, लेकिन टीटी ने उसे दुर्ग स्टेशन में ही उतार दिया।
किसी तरह की मदद नहीं मिलने के बाद जीआरीपी (GRP Durg) ने जैसे तैसे ऑटो की व्यवस्था की और उसे अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने नितिन को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शव को मॉरच्यूरी में रखवाया और जीआरपी ने महिला को वापस चौकी में आश्रय दिया। महिला की शिकायत पर पुलिस ने मर्ग कायम कर उसके परिवार के अन्य सदस्यों को सूचना दी।
महिला ने बताया कि कुछ साल पहले उसके पति को मृत्यु हो चुकी है। एक बेटी है। वह रायगढ़ में है। बेटा नितिन एकलौता है। उसका अंतिम सहारा भी भगवान ने छिन लिया। स्टेशन मास्टर दुर्ग एम खान ने बताया कि नितिन की मृत्यु सफर के दौरान हो गई थी। इसलिए टीटी ने उसे रेलवे स्टेशन में उतरवाने में मदद कर उन्हें घटना की सूचना दी थी। यह सच है कि महिला ने 112 को फोन किया था, लेकिन उसे मदद नहीं मिली। उनके कहने पर जीआरपी ने अस्पताल पहुंचाया।