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प्राचीन किल्ला मंदिर और उसकी संपत्ति को लेकर 14 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला, महंत के दावों को किया खारिज

प्राचीन किल्ला मंदिर और उसकी संपत्तियों पर आधिपत्य को लेकर 14 साल से चल रहे विवाद पर एसडीएम कोर्ट में फैसला सुनाया।

दुर्गSep 12, 2018 / 11:57 am

Dakshi Sahu

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प्राचीन किल्ला मंदिर और उसकी संपत्ति को लेकर 14 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला, महंत के दावों को किया खारिज

दुर्ग. प्राचीन किल्ला मंदिर और उसकी संपत्तियों पर आधिपत्य को लेकर 14 साल से चल रहे विवाद पर एसडीएम कोर्ट में फैसला सुनाया। इस मामले में एसडीएम व लोक न्यास पंजीयक कैलाश वर्मा ने महंत यज्ञानंद ब्रह्मचारी के निजी संपत्ति होने के दावे को खारिज करते हुए लोक न्यास गठन का आदेश दिया है।
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न्यास गठन करने प्रस्तुत किया था आवेदन
तमेर पारा स्थित प्राचीन किल्ला मंदिर के सर्वराकार महंत गौतमानंद ब्रह्मचारी ने अपने जीवनकाल में 3 फरवरी 2004 को लोक न्यास अधिनियम की धारा 4 के तहत लोक न्यास गठन करने का आवेदन प्रस्तुत किया था। इस पर महंत गौतमानंद ब्रह्मचारी के शिष्य महंत यज्ञानंद ब्रह्मचारी ने 23 अपै्रल 2004 को आपत्ति की थी।
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पूर्व महापौर ने की थी आपत्ति
महंत ने अपने गुरु सर्वराकार गौतमानंद ब्रह्मचारी का अपने समर्थन में जारी किया गया पत्र प्रस्तुत किया था। जिसमें दिवंगत महंत गौतमानंद ने न्यास गठन करने की सहमति देने के अपने निर्णय को वापस लिया है और यज्ञानंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है। पूर्व महापौर शंकर लाल ताम्रकार व लक्ष्मीनाथ ताम्रकार ने आपत्ति की थी। एसडीएम ने लोक न्यास गठन का आदेश दिया।
आपत्ति की खारिज
श्रीबलराम को-ऑपरेटिव सोसाइटी (सबको) की ओर से अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन ने भी मंदिर के स्वामित्व की 60 एकड़ भूमि पर सर्वराकार गौतमानंद ब्रह्मचारी द्वारा दान में दिए जाने का हवाला देकर अधिकार का दावा किया था। आपत्ति को भी खारिज कर दिया।
लोक न्यास बनाने का आदेश
स्थानीय लोगों को शामिल कर लोक न्यास बनाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने न्यास में महंत यज्ञानंद ब्रह्मचारी और सबको के अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन को भी शामिल करने का आदेश दिया है।

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