यह घटना जामुल थाना क्षेत्र की है। वर्ष 2014 में अभियुक्त ने पीडि़त छात्रा को प्रेम विवाह का प्रलोभन दिया। नाबालिग छात्रा उसके बहकावे में आ गई। अभियुक्त उसे अलग-अलग जगह बुलाता था और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता था। कुछ माह बाद छात्रा ने गर्भवती होने की बात कही तो अभियुक्त राजेश साहू उसे धमकी देने लगा। घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी।
प्रकरण पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि मासूम की जीवनशैली ही प्रभावित हो गई। उसने प्रसव पीड़ा भी सहा है। इस क्षति का आंकलन किसी धन से नहीं की जा सकती। जुर्माना की राशि को प्रतिकर के रुप में पीडि़ता को दिया जाए। न्यायाधीश ने विधिक सेवा प्राधिकरण को पत्र लिखकर शासन की योजना के तहत पुर्नवास के लिए सहायता दिलाने का भी आदेश दिया।
इस घटना के बाद छात्रा गुमशुम रहने लगी थी। वह घर से अलग किराए का मकान में रहने लगी। इसके बाद भी जब अभियुक्त ने उसे नहीं अपनाया तो मजबूरी में घटना की जानकारी छात्रा ने अपने परिवार में दी। छात्रा ने बताया कि राजेश उसके साथ पढ़ता था। दोनों एक दूसरे के करीब आ गए। अभियुक्त ने शादी करने की बात कही जिस पर उसने भरोसा कर लिया। सारी बातें सुनकर परिजन ने थाने में शिकायत की।
पुलिस ने एफआइआर दर्ज करने के बाद २४ सिंतबर २०१५ को राजेश को गिरफ्तार कर जेल दाखिल कराया। तब से वह जेल में है। अतिरिक्त लोक अभियोजक कमल वर्मा ने बताया कि इस प्रकरण में ८ लोगों की गवाही हुई। दो स्वतंत्र गवाह भी थी। नाबालिग का १६४ के तहत बयान भी हुआ था। गवाहों ने घटना का समर्थन किया। पीडि़ता ने भी घटना को सच बताया। इसे आधार बनाते हुए न्यायालय ने फैसला सुनाया।