घटना वर्ष 2004 की है। मोहन भैय्या सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद भी लोगों की समस्याओं से जुड़े रहे। इसी सिलसिले में पूर्व सांसद शहर के गरीबों का मसला लेकर नगर निगम कार्यालय पहुंचे थे। कई बार अधिकारियों से मनुहार के बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हुआ। इस पर उन्होंने तात्कालीन निगम आयुक्त से हिन्दी भवन में मुलाकात की और समस्या के निराकरण की मांग की। आयुक्त द्वारा सकारात्मक जवाब नहीं देने पर उनके बीच तीखी नोकझोक भी हुई। इस मुद्दे को भुनाने के लिए मोहन भैय्या विरोधी सक्रिय हो गए और समाज विशेष को लेकर पुराना बस स्टैंड में धरना दिया। धरना के दौरान मोहन भैय्या के खिलाफ एफआईआर की मांग की जा रही थी। इस जानकारी मिलने पर मोहन भैय्या खुद ही धरना स्थल पर पहुंच गए और माइक लेकर प्रदर्शनकारियों को घटना की वास्तविक पहलु की जानकारी दी। इसके बाद धरना प्रदर्शन स्वत: ही समाप्त हो गया।
मोहन भैया का जन्म 18 अक्टूबर 1934 को राजस्थान के जयपुर में हुआ, लेकिन उनकी आजीवन कर्मस्थली अविभाजित दुर्ग जिला रहा। वर्ष 1947 में वे अपने परिवार के साथ दुर्ग आ गए थे और 18 वर्ष की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़कर सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हो गए।
वर्ष 1967 में दुर्ग विधानसभा के चुनावी मैदान में वे जनसंघ से कांग्रेस प्रत्याशी रत्नाकर झा के विरुद्ध उतरे थे।इस चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा, लेकिन कांग्रेस के इस गढ़ में सेंध लगा दी थी। उन्हें 22 प्रतिशत वोट मिले। इस तरह दुर्ग में पहली बार कांग्रेस के विपक्ष के किसी प्रत्याशी की जमानत बची।
इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रीत्व काल में वर्ष 1975 में देश में आपातकाल लागू कर दिया गया था। जिसका विरोध किए जाने पर मोहन भैय्या को जेल भी जाना पड़ा। वे लगभग 19 माह उन्हें जेल में बिताना पड़ा। इसके बाद वर्ष 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में मोहन भैय्या को जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के चंदूलाल चंद्राकर को शिकस्त देते हुए कांग्रेस का दुर्ग छीन लिया।
मोहन भैय्या का बाल्यकाल से गौ-वंशों के प्रति विशेष लगाव रहा। वे गौ-वंशों के रक्षण व पोषण के प्रति सदैव संवेदनशील रहे। परिणाम स्वरूप दुर्ग में प्रथम गौशाला की स्थापना हुई। मोहन भैया ने मोहलई स्थिति श्री कृष्ण गौशाला की आधार शिला रखी। इस गौशाला में गौ सेवा करना उनकी दिनचर्या में शामिल थी।
मोहन भैय्या के निधन के पश्चात उनकी पार्थिक काया को ससम्मान अंतिम विदाई दी गई। जनसंघव भाजपा के प्रति समर्पित रहे मोहन भैय्या को भाजपा का ध्वज ओढ़ाया गया। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर की अंतिम यात्रा निकाली गई। हरनाबांधा मुक्तिधाम में उनके पुत्र मनोज जैन ने मुखाग्नि दी।
(जैसा उनके करीबियों ने बताया)