प्रकरण के मुताबिक मोटर दुर्घटना दावा अधिनियम के तहत क्लेम लेने दुर्ग निवासी सौरभ शिवारे ने वाद प्रस्तुत किया था। दुर्घटना से 45 प्रतिशत दिव्यांग होने का दावा करते हुए राजनादगांव जिला मेडिकल बोर्ड का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ कि सड़क दुर्घटना में सौरभ शिवारे के दाएं पैर में चोट आई है, लेकिन प्रमाण पत्र बाएं पैर का है।
गवाह के रुप में आए राजनादगांव जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ.वायके तिवारी ने भी न्यायालय को बताया कि प्रमाण पत्र उसने ही जारी किया है। परीक्षण बाएं पैर का किया है। डॉक्टर का कहना था कि परीक्षण के दौरान उसने केस हिस्ट्री भी देखी और अपगंता का निर्धारण किया है। केस हिस्ट्री और प्रमाण पत्र अलग-अलग होने पर न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र को संदिग्ध पाया।
न्यायाधीश विवेक कुमार तिवारी ने परिवाद पर फैसला सुनाने के लिए दुर्ग जिला अस्पताल के प्रमाण पत्र को आधार बनाया। न्यायाधीश ने 1.34 लाख क्लेम राशि ९ प्रतिशत ब्याज के साथ देने के आदेश दिए। यह राशि शासन को देना होगा। परिवादी युवक ने 45.21 लाख रुपए क्लेम मांगा था।
सौरभ शिवारे ने न्यायालय को जानकारी दी थी कि वह शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र है। ११ नवंबर २०१५ को कॉलेज जाते समय एसएफ पेट्रोल पंप के पास वेटरनरी कॉलेज के वाहन ने उसे ठोकर मार दी। वाहन को कॉलेज का नियमित वाहन चालक सुरेश कुमार चला रहा था। दुर्घटना के बाद उसने दुर्ग जिला अस्पताल के अलावा, सेक्टर-९ और बाद में रामकृष्ण केयर अस्पताल रायपुर में इलाज कराया।