योगेन्द्र शर्मा ने एसीबी को बताया कि उसके दुर्ग निवासी मामा आत्माराम दुबे का खेत रवेली में है। खेती कार्य के लिए उसके मामा ने उसे अधिकृत किया है। खेत में लगे अस्थाई कनेक्शन को स्थाई करने के लिए सब इंजीनियर दिनेश शर्मा ने १० हजार रुपए की मांग की थी। रुपए किस्त में देने की बात कही। शिकायत सही पाए जाने पर एसीबी के अधिकारियों ने २२ जुलाई २०११ को बिजली आफिस में दबिश देकर रिश्वत की पहली किस्त तीन हजार रुपए के साथ सब इंजीनियर को गिरफ्तार किया।
योगेन्द्र शर्मा ने चिन्हित नोटों को सब इंजीनियर के हाथों में दिया था। रुपए लेने के बाद सब इंजीनियर ने टेबल के दराज में रख दिया था। इशारा मिलते ही एसीबी के अधिकारियों ने उसे पकड़ लिया। दराज से नोटों को जब्त किया गया। हाथ धुलाई करवाने पर सब इंजीनियर का हाथ रंग गया था।
शिकायतकर्ता योगेन्द्र शर्मा ने न्यायालय में बयान दर्ज कराते समय घटना का समर्थन किया, लेकिन बचाव पक्ष के प्रश्न पर अपने बयान से पलट गया। सवाल के जवाब में योगेन्द्र ने कहा कि सब इंजीनियर ने रिश्वत की मांग नहीं की थी। वह अपनी स्वेच्छा से तीन हजार रुपए दिया था।