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आप रहें सतर्क : भवन निर्माण विलंब शुल्क में सात गुना की बढ़ोतरी

locationदुर्गPublished: Apr 06, 2019 01:28:56 pm

Submitted by:

Bhuwan Sahu

एक हजार वर्ग फुट में मकान बनाने वालों को अब 600 की जगह 5000 और व्यवसायी को 3000 की जगह 20,000 शुल्क देना होगा

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आप रहें सतर्क : भवन निर्माण विलंब शुल्क में सात गुना की बढ़ोतरी

भिलाई. शहर सरकार एक तरफ संपत्तिकर में 50 फीसदी रियायत देकर वाहवाही बटोर रही है, वहीं दूसरी तरफ चुपके से भवन निर्माण विलंब शुल्क में सात गुना बढ़ोतरी कर दी है। ऐसे भूखंड मालिक जिन्होंने निर्धारित समयावधि में मकान नहीं बनाया, अब उन्हें भवन अनुज्ञा तभी मिलेगी जब वह संपत्तिकर की क्षतिपूर्ति के रूप में विलंब शुल्क जमा करेगा। आवासीय, व्यावसायिक और आवासीय सह व्यावसायिक तीनों योजनाओं में आवंटित भूखंड पर भवन निर्माण की समयावधि एक साल ३१ मार्च २०२० तक बढ़ाने के साथ ही विलंब शुल्क एकमुश्त इजाफा कर दिया गया है। साडा व निगम द्वारा आवंटित या व्यवस्थापित भूखंडों पर निर्धारित अवधि के भीतर भवन निर्माण नहीं किए जाने पर उक्त लीज योजना के लीज डीड में उल्लेखित शर्तों के अनुसार तथा जिन आवंटितियों के लीज डीड उल्लेख नहीं है, उनसे भी विलंब शुल्क लिया जाता है। 6 मार्च को हुई महापौर परिषद की बैठक में विलंब शुल्क की दर में वृद्धि का प्रस्ताव लाया गया था, जिसे परिषद ने मंजूरी दे दी थी। यह 1 अप्रैल २०१९ से प्रभावी हो गया है।
15 साल में पहली बार बढ़ाया शुल्क


बिलंब शुल्क की मौजूदा दर २००३ से लागू थी। २८ मई २००४, 2 फरवरी 2005, 28 मार्च 2006, 17 मार्च 2007 और 16 मई 2008 की सामान्य सभा की बैठक में विलंब शुल्क का मामला एजेंडा में लाया गया। सदन हर बार भवन निर्माण की समयावधि एक-एक साल बढ़ाता रहा, लेकिन विलंब शुल्क की दर में कोई पविर्तन नहीं किया। २००८ के बाद से महापौर परिषद और सामान्य सभा में प्रकरण प्रस्तुत ही नहीं हुआ। लोग अब तक पूर्व निर्धारित दर पर विलंब शुल्क जमा कर भवन का निर्माण, नामांतरण एवं लीज नवीनीकरण कराते रहे हैं।
निगम का कहना है

निगम के राजस्व अधिकारी अशोक द्विवेदी का कहना है कि लीज डीड की शर्तों के अनुसार निर्धारति अवधि में निर्माण नहीं करने पर निगम चाहे तो लीज निरस्तीकरण की कार्रवाई कर सकता है, लेकिन रियायत देते हुए विलंब शुल्क में मामूली वृद्धि करते हुए वर्ष २०२० तक निर्माण की अनुमति दी गई है।
इसलिए विलंब शुल्क

लोगों ने योजनाओं के तहत भूखंड तो ले लिए हैं, लेकिन १५-20 वर्षों से निर्माण नहीं करने से निगम को भवन अनुज्ञा और संपत्तिकर के रूप में राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसलिए विलंब शुल्क लेकर इस नुकसान की भरपाई की जाती है।

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