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आइएचएसडीपी आवास घोटाला – गबन के मामलों में खानापूर्ति के बाद अब अवैध कब्जों पर एफआइआर से परहेज

locationदुर्गPublished: Jul 15, 2019 03:19:08 pm

Submitted by:

Hemant Kapoor

0 तीन आवासों पर अवैध कब्जा कर चलाया जा रहा था बारदाना सिलाई यूनिट 0 बिजली चोरी के मामले की भी नहीं दी पुलिस को सूचना 0 पहले ही खुल चुका है आवासों के प्रीमियम और किराए की राशि में गोलमाल का मामला

दुर्ग. आइएचएसडीपी आवासों के प्रीमियम और किराए के गबन के मामलों में खानापूर्ति के बाद अब निगम प्रशासन अवैध कब्जों पर भी मौन है। मामले को प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी दबाने के फेर में हैं, जिसके चलते अब तक इस मामले की शिकायत पुलिस में नहीं की गई है। कॉलोनी के तीन आवासों में अवैध कब्जा कर बारदाना सिलाई का कारोबार किए जाने का खुलासा महापौर चंद्रिका चंद्राकर ने खुद आकस्मिक निरीक्षण में किया था। पड़ताल में बारदाना सिलाई केंद्र खोलने के लिए किराए पर लिए जाने की जानकारी संबंधितों ने दी थी। जिसके बाद इन आवासों को कब्जाधारियों को बेदखल कर खाली करवा लिया गया। इसके आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

कार्रवाई में इस तरह कोताही
0 पूछताछ कर खानापूर्ति – अवैध कब्जाधारी द्वारा पड़ताल में तीनों मकानों को किसी महिला से किराए पर लिए जाने की जानकारी दी गई। संबंधित महिला से पूछताछ करने पर उसने इससे इंकार कर दिया। इसके साथ ही यह भी माना जा रहा है अवैध कब्जाधारी को राजनीतिक संरक्षक है जिसके कारण मामला ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया जा रहा है।
0 सर्वे के बाद भी अवैध कब्जा – प्रीमियम और किराए के गबन का मामला उजागर होने के बाद वास्तविक हितग्राही व आवासों पर काबिज लोगों का पता लगाने महीनेभर पहले ही निगम प्रशासन ने सर्वे कराया था। इस सर्वे में इन कब्जाधारियों की जानकारी सामने नहीं आई। इससे सर्वे करने वाले की भूमिका भी संदेहास्पद है।
0 बिजली चोरी पर भी खामोशी – जांच के दौरान जिन आवासों में अवैध कब्जे पाए गए थे, वहां बिजली के अवैध कनेक्शन से बारदाना सिलाई किए जाने की जानकारी भी सामने आई थी। इस अवैध कनेक्शन की शिकायत भी निगम प्रशासन ने बिजली विभाग अथवा पुलिस से नहीं की। निगम के इस रवैये से भी मामले पर पर्दा डालने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है।

गबन के मामले में इस तरह खानापूर्ति
आवंटित आवासों की प्रीमियम और किराए की राशि के गबन के मामले में निगम की कार्रवाई महज खानापूर्ति की रही। मामले में दो कर्मियों की भूमिका सामने आई थी। जिन्हें निलंबित किया गया था, लेकिन बाद में पिछले दरवाजे से बहाल भी कर दिया गया। मामले में निगम ने पुलिस में एफआइआर दर्ज कराने का दावा किया था, लेकिन महज एक शिकायती पत्र पुलिस को देकर खानापूर्ति कर ली गई।

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