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डूंगरपुर

स्टाम्प बिक्री का बदला सिस्टम, अब ऑनलाइन वेरिफिकेशन के बाद ही मिलेगा

माथापच्ची ज्यादा होने से नई व्यवस्था छोटे स्टाम्प वेंडर को रास नहीं आ रही, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि इस सिस्टम से कागजी कामकाज घटेगा, वहीं स्टाम्प का बेजा इस्तेमाल भी थम जाएगा।

डूंगरपुरApr 25, 2024 / 04:09 pm

जमील खान

ऐप से स्टाम्प… वेंडर परेशान, लोग हैरान

दीनदयाल शर्मा
डूंगरपुर/बांसवाड़ा. खुद गए नहीं तो किसी को भी अपनी आईडी देकर वेंडर से स्टाम्प खरीद का सिलसिला अब नहीं चलेगा। पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग ने स्टाम्प बिक्री का सिस्टम बदल दिया है। इससे ऑनलाइन वेरिफिकेशन के बाद असल खरीदार ही स्टाम्प ले पाने से फर्जीवाड़े की गुंजाइश खत्म हो गई है। यही नहीं, बाकायदा हर खरीदार का डिजिटल रिकॉर्ड रहेगा, जिससे स्टाम्प के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा। अक्सर करार के बाद धोखाधड़ी के केस सामने आने वाले पुलिस भी डिजिटल रिकॉर्ड से तुरंत वास्तविकता से रूबरू हो पाएगी। हालांकि माथापच्ची ज्यादा होने से नई व्यवस्था छोटे स्टाम्प वेंडर को रास नहीं आ रही, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि इस सिस्टम से कागजी कामकाज घटेगा, वहीं स्टाम्प का बेजा इस्तेमाल भी थम जाएगा।
ई-पंजीयन के लिए एप्लीकेशन से बिक्री
विभाग ने ई-पंजीयन व्यवस्था के लिए एप लांच किया है, जो स्टाम्प वेंडर्स के एसएसओ आईडी से ही खुलेगा। इसमें स्टाम्प विक्रय के विकल्प पर जाने के बाद कीमत के अनुसार स्टाप की फेहरिस्त आएगी, आगे क्लिक करने पर कितने खरीदने हैं, इसकी संया भरनी होगी। इसके बाद खरीदार, उसके पिता का नाम, स्टाम्प खरीदने का मकसद, मोबाइल नंबर, खुद ले रहे या किसी और के लिए इसका विकल्प देने के बाद अगले स्टेप में डिजीटल साइन केप्चर करने होंगे। फिर कैमरे के ऑप्शन से आधार कार्ड सहित खरीदार का फोटो लेकर हाथोंहाथ सबमिट करने पर वैरिफाई होते ही स्टाम्प क्रमांक जारी होगा और वही उसे दिया जा सकेगा। इससे रजिस्टर रखकर इंद्राज की माथापच्ची कम होगी, वहीं खरीदार का मोबाइल नंबर फीड होने से गलत इस्तेमाल पर साक्ष्य रहेगा। खास बात यह कि वेंडर के लिए भी इससे खरीदफरोत के पहले या बाद में हेराफेरी की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
मेहनत से आमदनी कम, विकल्प घटे तो ही ठीक
इस बारे में चर्चा पर स्टाम्प वेंडर एसोसिएशन बांसवाड़ा के मुकेश शर्मा बताते हैं कि एप में विकल्प बहुत ज्यादा है और सभी में फीडिंग के बगैर आगे नहीं बढ़ सकते। इससे समय जाया हो रहा है। ऐसे में एक-दो या अधिकतम चार विकल्प में काम हो तो ही यह सिस्टम सफल हो सकता है। उनके साथी वेंडर आशीष जैन और तपेश सोनी के अनुसार स्टाम्प बिक्री से वेंडर को आय एक फीसदी ही है। छोटे स्तर पर काम करने वाले वेंडर्स को इससे नुकसान है, वहीं ग्राहक भी एक जगह दो-चार खरीदार देखते ही अन्यत्र जा रहे हैं। इससे भूमि-भवन खरीद पर हजारों-लाखों के स्टाम्प बिक्री करने वालों को फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन कम कीमत के स्टाप बेचने वालों को बड़ी मशक्कत के बाद भी गुजारा मुश्किल हो जाएगा।
अभी छोटे वेंडर्स परेशान, दो मिनट के काम के लग रहे दस मिनट
नई व्यवस्था से बांसवाड़ा के छोटे वेंडर्स परेशान हैं। कारण कि सर्वर डाउन होने या नेटवर्क की दिक्कत पर मोबाइल से एप पर काम जल्दी नहीं होता। वैसे भी सौ-पचास रुपए के स्टाम्प के लिए भी दस से बारह इंट्री के बाद स्टाप नंबर अलॉट होने पर ही वे दे पा रहे हैं, जबकि पहले यह काम रजिस्टर में चंद पलों में लिखने के बाद हाथोंहाथ हो रहा था। इसके अलावा बड़ी समस्या यह भी आठ-दस ग्राहक खड़े हों और एक-एक को दस-दस मिनट का समय देना पड़े, तो लोग बिदकते हैं। इससे भटकाव भी बढ़ रहा है।
वेंडर्स के लिए भी सहुलियत
विभागीय सूत्रों की मानें तो एप से वेंडर्स को भी सहुलियत रहेगी। एप में उसके स्टाम्प के कोटे, स्टॉक, बैलेंस आदि की जानकारी स्क्रीन पर दिखलाई देगी। इससे विभाग से स्वीकृत और स्टाम्प की बिक्री का उसे हर दिन अलग से लेखा-जोखा रखना नहीं पड़ेगा।

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