डूंगरपुर. लघु व कुटिर उद्योगों के संरक्षण व विकास के लिए शहर में पहली बार वागड़ उद्यमी सम्मेलन होने जा रहा है। लघु भारती उद्योग के बैनर तले चार अगस्त को राजमाता विजयाराजे सिंधिया ऑडिटोरियम में होने वाले सम्मेलन के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसमें करीब ६०० उद्यमियों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। मंगलवार को शहर की एक होटल में प्रेसवार्ता हुई। अध्यक्ष हंसमुख पण्ड्या ने बताया कि पड़ौसी राज्य गुजरात उद्योगों में लगातार आगे बढ़ रहा है। डूंगरपुर पिछड़ रहा है। उद्यमियों को सहायता नहीं मिल पा रही है। उद्यम से जुड़ी जानकारी नहीं मिल रही है। उद्यम कैसे शुरू करें, क्या-क्या चुनौतियां रहेगी? इसकी जानकारी देने के लिए शहर में उद्यमी सहायता केंद्र व कौशल विकास केंद्र स्थापित किया जाएगा। बैंक प्रबंधन की तरफ से ऋण देने में हाथ खड़े कर दिए जाते हैं। ऐसे में निवेश नहींं हो पा रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए सांझा प्रयास किए जाएंगे। चितौड़ प्रांत १६ जिलों के १२५ सदस्य शामिल होने जा रहे हैं। यहां के उद्यमियों को नई सोच के साथ काम करने एवं चुनौतियों से निपटने की जानकारी सम्मेलन में प्राप्त होगी। औद्योगिक विकास के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। मूर्तिकला विश्व विख्यात, पर नहीं मिला प्रोत्साहनउत्पादन लागत आ रही अधिक...सचिव पवन जैन, जिला संयोजक बाबुसिंह राजपुरोहित ने बताया कि यहां के उद्यमियों ने उद्यम तो शुरू कर दिया है, लेकिन प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे हैं। इसका कारण उत्पादन लागत अधिक आना है। गुजरात राज्य से लागत पांच से छह प्रतिशत अधिक आ रही है। रिको क्षेत्र स्थापित होने के ४१ वर्ष में संख्या तो नहीं बढ़ी है, लेकिन उद्योग जरूर बंद हो रहे हैं। इन पर होगी चर्चा-औद्योगिक बिजली दरें पड़ौसी राज्य से अधिक होना-सामान परिवहन सुविधा का अभाव।-प्रशासन की तरफ से कामगरों को कुशल बनाने की पहल-कम ब्याज दर पर ऋण सुविधा उपलब्ध कराना-ईएसआईसी के नाम से वसूलने वाले शुल्क पर राहत देना-पांच वर्ष तक उद्योगों को कर से मुक्त करना[typography_font:14pt;” >-कच्चे माल के अन्य राज्यों में परिवहन पर प्रतिबंध लगाना