ऐसा व्यापार जहां माल बिकने के बाद मिलता है लाइसेंस
डूंगरपुरPublished: Nov 04, 2018 11:14:26 am
ऐसा व्यापार जहां माल बिकने के बाद मिलता है लाइसेंसडूंगरपुर. हर व्यापार का दस्तुर है कि दुकान में बिकने वाली सामग्री के लिए लाइसेंस चाहिए तो पहल लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके बाद ही व्यापार शुरू हो सकता है। पर जिले भर में पांच सात दिन का एक व्यापार ऐसा है जो बगैर लाइसेंस के शुरू ही नहीं हो सकता है। यहीं नहीं इसका व्यापार करने वाले लाइसेंस का आवेदन भी करते है। पर, इनको लाइसेंस तब मिलता है, जब आधे से ज्यादा माल बिक जाता है। यहां जिक्र पटाखों का व्यापार और इसके लिए जारी होने वाले अस्थायी लाइसेंस का है। नियमों के अनुसार बगैर लाइसेंस पटाखों का कारोबार अवैध है और इन दिनों शहर सहित जिले भर में लगने वाली पटाखों की सभी अस्थायी दुकानें अवैध की श्रेणी में है। पर, इन सब के लिए व्यापारी किसी भी सूरत में जिम्मेदार नहीं है। लाइसेंस की प्रक्रिया में प्रशासन का मकडजाल ऐसा बुना जाता है कि व्यापारी इसमें उलझ कर रह जाता है।
ऐसा व्यापार जहां माल बिकने के बाद मिलता है लाइसेंस
ऐसा व्यापार जहां माल बिकने के बाद मिलता है लाइसेंस
डूंगरपुर. हर व्यापार का दस्तुर है कि दुकान में बिकने वाली सामग्री के लिए लाइसेंस चाहिए तो पहल लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके बाद ही व्यापार शुरू हो सकता है। पर जिले भर में पांच सात दिन का एक व्यापार ऐसा है जो बगैर लाइसेंस के शुरू ही नहीं हो सकता है। यहीं नहीं इसका व्यापार करने वाले लाइसेंस का आवेदन भी करते है। पर, इनको लाइसेंस तब मिलता है, जब आधे से ज्यादा माल बिक जाता है। यहां जिक्र पटाखों का व्यापार और इसके लिए जारी होने वाले अस्थायी लाइसेंस का है। नियमों के अनुसार बगैर लाइसेंस पटाखों का कारोबार अवैध है और इन दिनों शहर सहित जिले भर में लगने वाली पटाखों की सभी अस्थायी दुकानें अवैध की श्रेणी में है। पर, इन सब के लिए व्यापारी किसी भी सूरत में जिम्मेदार नहीं है। लाइसेंस की प्रक्रिया में प्रशासन का मकडजाल ऐसा बुना जाता है कि व्यापारी इसमें उलझ कर रह जाता है।
दीपावली से एक दिन पूर्व मिलता है लाइसेंस
पिछले दस साल का इतिहास है कि पटाखों का लाइसेंस दीपावली से एक दिन पूर्व जारी होता है। कई बार तो दीपावली की दोपहर तक लाइसेंस मिलता है। जब लाइसेंस मिलता है, तब तक दुकान में ७० फीसदी से ज्यादा पटाखे बिक जाते है। यह लाइसेंस महज खानापूर्ति ही साबित होता है।
इसलिए होती है देरी
करीब १५ वर्ष पूर्व अजमेर में पटाखे की दुकान में आगजनी से बड़ी वारदात हुई थी। इस दुकान में सुरक्षा नियमों की अवहेलना हुई थी। ऐसे में लाइसेंस देने अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हुई थी। इसके बाद से लाइसेंस तो मिलता है, पर दीपावली तक लटकाएं रखा जाता है। मकसद राजस्व वसूली का ही रहता है।
व्यापारी होगा जिम्मेदार
लाइसेंस आवेदन के साथ ही व्यापारी भी पटाखों की दुकान सजा देता है। अधिकांश दुकानों में सुरक्षा नियमों की सीधी अवहेलना है। यहां पटवारी, पुलिस और परिषद के आदमी आते है। व्यापारी से पड़ताल पर आवदेन करना बताया जाता है। जांच के लिए गई टीम को भी पता होता है कि दीपावली तक लाइसेंस मिलना नहीं है। ऐसे में यह भी अपनी आधी-अधूरी रिपोर्ट कई दिनों तक अटकाए रखते है और ऐन वक्त पर देते है। यहां पुलिस व प्रशासनिक कार्मिक की जांच का शुल्क भी लगभग तय है।
तो फंसेगा व्यापारी
कमोबेश किसी परिस्थिति में कोई हादसा हो जाता है, तो यकीनन व्यापारी जिम्मेदार होगा और इसके खिलाफ अवैध रूप से व्यापार करने का मामला दर्ज होगा। यानी यह पूरा व्यापार सरकारी खानापूर्ति के बाद भी अवैध की श्रेणी में ही आएगा। ऐसे में व्यापारी सावचेत होकर ही दुकान लगाएं। यह पूरा व्यापार स्वयं के जोखिम का ही है।