लक्षण
मरीज को कंपकंपी व सर्दी लगकर बुखार आता है। मरीज बेहोश होता है, कोमा में भी जा सकता है। मलेरिया से रोगी का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। रोगी को बुखार के साथ तेज सिरदर्द, उल्टी होने लगती है। कई बार रोगी को सांस लेने भी परेशानी होने लगती है।
बचाव
पूरी बांह के कपड़े पहने, मच्छरदानी का उपयोग करें। मच्छर भगाने वाली क्रीम या ऑयल का प्रयोग करें। खिड़कियों पर जाली लगाएं, आसपास पानी इकठ्ठा न होने दें। पानी को स्टोर करने वाली जगहों को साफ रखें। घर में व बाहर जाते समय शरीर को पूरा ढंककर रखें। रोगी को अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थ दें। रोगी को सुपाच्य भोजन दें, तली- भुनी चीजें देने से बचें। मलेरिया के रोगी को पेट भरके खाना नहीं खिलाएं।
विषम ज्वर है मलेरिया
आयुर्वेद में मलेरिया को विषम ज्वर के श्रेणी में रखा जाता है। यदि बुखार हर तीसरे दिन आता है तो ये तृतीयक ज्वर है। चौथे दिन आने वाले बुखार को चतुर्थक ज्वर कहा जाता है। इसके रोगी को गिलोय का रस पिलाने से आराम मिलता है। रोगी को द्रोण पुष्पी का रस और आयुष 64 दवा दी जाती है। रात में चिरायता को पानी में भिगो दें, सुबह रोगी को पिलाएं। चिरायता और नीम का काढ़ा भी इसके रोगी को दिया जाता है। मलेरिया बुखार को खत्म करने के लिए भुनी फिटकरी देते हैं। 20 तुलसी की पत्ती, 4 काली मिर्च, 2 इलायची 1 लौंग व दालचीनी को एक लीटर पानी में डाल लें। जब तक पानी आधा नहीं हो जाए तक इसें उबालें। बाद में इस पानी को पीएं। मलेरिया में रोगी को सुदर्शन चूर्ण दिया जाता है, इससे भी आराम मिलता है। तुलसी का रस या पाउडर बनाकर रोगी को दिया जाता है। औषधि में करजाडि बटी, महाज्वारंकूश रस आदि से भी लाभ मिलता है।
बरतें ये सावधानी
बुखार आने पर दही का सेवन नहीं करना चाहिए। मैदा, बेसन व इनसे बनी चीजों का सेवन न करें। रोगी को मूंग की दाल, पतली खिचड़ी व दलिया दें। करेले का सेवन करें, पटल (परवल) की सब्जी खाएं।
डॉ. सर्वेश कुमार सिंह, आयुर्वेद विशेषज्ञ