डॉ रमाकांत पांडा, कार्डियक सर्जन
जयपुरPublished: Jun 22, 2019 10:58:51 am
Jitendra Rangey
भारत के पंजीयक महानिदेशक व इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के संयुक्त शोध के मुताबिक 5.8 फीसदी भारतीय महिलाओं में धमनियों से संबंधित हृदय की बीमारी होती है।
heart problem
लक्षण भी स्पष्ट नहीं दिखाई देते
दिल की बीमारी को पुरुषों से जोड़कर देखा जाता है, पर हालिया सर्वे बताते हैं कि हृदय रोगों से हर साल पुरुषों की तुलना में महिलाओं की मौत के मामले बढ़े हैं। कुछ मामलों में महिलाओं में इसके लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं। भारत के पंजीयक महानिदेशक व इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के संयुक्त शोध के मुताबिक 5.8 फीसदी भारतीय महिलाओं में धमनियों से संबंधित हृदय की बीमारी होती है। लगभग दो तिहाई (64 फीसदी) औरतों की अचानक मृत्यु धमनियों की बीमारी से होती है। ऐसे में उनमें लक्षण भी स्पष्ट नहीं दिखाई देते।
कारण: घर-ऑफिस दोनों जगह के काम में तालमेल बैठाने से शहरी महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले दोगुना तनाव है। यह हृदय रोगों के खतरे को दोगुना करता है। मोटापा, व्यायाम से दूरी, फैमिली हिस्ट्री, धूम्रपान और अधिक शुगर के स्तर को नजरअंदाज करना अन्य कारण हैं। ऐसी महिलाएं जिनमें मेनोपॉज समय से पहले (50 साल) आता है, या कोई सर्जरी के दौर से गुजरी हों, उनमें हृदय संबंधी रोगों का खतरा ज्यादा रहता है। खानपान, व्यायाम व लाइफस्टाइल में बदलाव कर परेशानी को रोका जा सकता है।
लक्षण: महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण पुरुषों से भिन्न दिखाई पड़ते हैं। कुछ लक्षणों की बात करें तो गर्दन, जबड़े, कंधे, कमर का ऊपरी हिस्सा या उदर के आसपास बेचैनी, सांसों का छोटा होना, दाहिने हाथ में दर्द, उल्टी महसूस होना, सिर हल्का लगना, बेहोशी छाना या थकावट जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
डॉ रमाकांत पांडा, कार्डियक सर्जन