शराब, वायरल इंफेक्शन, किसी भी प्रकार के नशे की लत, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल की अधिकता और खराब लाइफस्टाइल से लोगों में लिवर संबंधी रोगों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में वजन कम होना, कोलेस्ट्रॉल की अधिकता, भूख न लगना, पेट पर सूजन, पीलिया, पेटदर्द, थकान और पेशाब के रंग में बदलाव जैसे लक्षण होने पर लिवर जवाब देने लगता है।
कम रोग प्रतिरोधक क्षमता, शराब या नशा करने वाले और अन्य किसी बीमारी से पीडि़त व्यक्ति लिवर के रोग से प्रभावित हो सकते हैं। इस अंग को है पसंद
नींबू, हल्दी, अदरक, दालचीनी, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्ट्रॉबेरी, रसबेरी व नाशपाती जैसी विटामिन और मिनरल से भरपूर चीजें खाने से लिवर दुरुस्त रहता है।
बच्चों में फैटी लिवर का प्रमुख कारण है मोटापा। यह जंकफूड व तला-भुना खाने, व्यायाम न करने और ज्यादा टीवी देखने से होता है। हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण मां से बच्चे को या दूषित रक्त व सुई से होता है। बचाव के लिए नवजात को जन्म के तुरंत बाद, डेढ़ और छह माह की उम्र में हेपेटाइटिस-बी का टीका लगवाया जाना चाहिए। दूषित खानपान से बड़े बच्चों में हेपेटाइटिस-ए और ई से लिवर में संक्रमण होता है। हल्का बुखार, जी घबराना, आंखों व पेशाब में पीलापन इसके प्रमुख लक्षण हैं। इससे बचाव के लिए बच्चों को एक व डेढ़ साल की उम्र में हेपेटाटिस-ए का टीका लगाएं।उन्हें घर का बना खाना, हरी सब्जियां व फल खिलाएं।