आधुनिक आयुर्वेद में तगर अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि कंद है। जो रोगों में लाभकारी है।
गुण : शीतल, सबके अनुकूल, कड़वेपन के साथ मीठा हल्का स्वाद, विषैले प्रभाव नाशक, सुगंधित, वायु नाशक व स्नायु मंडल को शिथिल कर पीड़ा से राहत देने वाली है।
इन रोगों में फायदा : नेत्र रोग, रक्त विकार, मिर्गी, अनिद्रा, सूखी खांसी, श्वास नलियों की सूजन, पुराने घाव, हड्डी टूटने, गठिया और जोड़ों के दर्द, सिर दर्द, नसों में तनाव होने जैसे रोगों में यह आरामदायक होती है।
दिन में बच, कूठ, ब्राह्मी के साथ तीन बार लें। गाय का दूध और घृत आहार में लेने से मिर्गी, हिस्टीरिया और पक्षाघात में लाभ।पीसकर 3-4 घंटे ठंडे पानी में भिगोकर उस पानी को पीने से दर्द में आराम आता है।नींद की गोलियां लेने वालों को तगर के कैप्सूल रोज रात को लेने से गहरी स्वप्न व पीड़ारहित नींद आ सकती है।