सफेद पैच हो जाते हैं। इसे ओरल कंैडिडासिस या ओरल थ्रस कहते हैं। यह जीभ, तालु या मुंह के अंदर हिस्सों में होता है। मरीज को खाना बेस्वाद लगता है। मरीज को जलन, दर्द, खाते समय निगलने में समस्या होती है। ये बीच में घाव, किनारों पर सफेद या लाल निशान के साथ भी दिखाई देते हैं।
कमजोर इम्यूनिटी मुख्य कारण
ओरल कैंडिडासिस फंगल इंफेक्शन कैंडिडा एल्वीकेन्स फंगस के कारण होता है। ये शरीर में मौजूद होता है। शरीर के नमी वाले स्थानों पर भी हो सकते हंैं। डायबिटीज, टीबी, कैंसर, ऑटोइम्यून, एचआइवी-एड्स ग्रसित बीमारियों के मरीजों को हो सकते हैं। धूम्रपान करने वालों में ओरल थ्रस की समस्या अधिक होती है।
ओरल कैंडिडासिस फंगल इंफेक्शन कैंडिडा एल्वीकेन्स फंगस के कारण होता है। ये शरीर में मौजूद होता है। शरीर के नमी वाले स्थानों पर भी हो सकते हंैं। डायबिटीज, टीबी, कैंसर, ऑटोइम्यून, एचआइवी-एड्स ग्रसित बीमारियों के मरीजों को हो सकते हैं। धूम्रपान करने वालों में ओरल थ्रस की समस्या अधिक होती है।
इलाज : एंटीफंगल दवाएं और मुंह में लगाने का लोशन (माउथ पेंट) देते हैं। ४ से ६ सप्ताह तक इलाज चलता है। कभी-कभी अधिक समय भी लग सकता है। इलाज बीच में छोडऩे से दिक्कत हो सकती है।
सुबह-शाम ब्रश व जीभ साफ करें। कृत्रिम दांत हैं तो सोते समय निकाल दें। डैंचर सही से फिट होना चाहिए। चीनी और चीनी प्रोडक्ट कम लें। इससे कैंडिडा फंगस तेजी से ग्रो करते हैं। मुंह में ऐसे पैच दिखते हैं तो चिकित्सक से परामर्श लें।
जंकफूड बढ़ाते दिक्कत
फंगल इंफेक्शन होने पर खानपान का ध्यान रखें। प्रोटीन, मिनरल और विटामिन युक्त डाइट लेनी चाहिए। फास्ट और जंक फूड खाने से बचें। इससे समस्या बढ़ती है। अक्सर मरीज खुद ही एंटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं जिससे फंगस खत्म होने के बजाय अच्छे बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
फंगल इंफेक्शन होने पर खानपान का ध्यान रखें। प्रोटीन, मिनरल और विटामिन युक्त डाइट लेनी चाहिए। फास्ट और जंक फूड खाने से बचें। इससे समस्या बढ़ती है। अक्सर मरीज खुद ही एंटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं जिससे फंगस खत्म होने के बजाय अच्छे बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
दवा खाने के बाद मुंह अच्छे से साफ करें : ओरल थ्रस से बचाव के लिए मुंह की सफाई का ध्यान रखना जरूरी है।