हेपेटाइटिस डी का इलाज अल्फा इंटरफेरॉन के साथ किया जाता है, कोई और इलाज नहीं है। हेपेटाइटिस ई का भी इलाज नहीं है। यह समय के साथ ठीक हो जाता है। एक बार शरीर में कीटाणु प्रवेश कर जाएं तो बाहर निकालना मुश्किल है। इसका उपाय टीका लगवाना है। अधिकांश मरीज अस्पताल एडवांस स्टेज में पहुंचते हैं, जब लिवर पूरी तरह से डैमेज हो चुका होता है, तब उसका इलाज कठिन होता है।
हेपेटाइटिस क्या है? क्यों होता है?
हेपेटाइटिस लिवर में एक प्रकार की सूजन है। लिवर में जलन व संक्रमण होता है। ये पांच तरह के वायरस से होता है। हेपेटाइटिस संक्रमित व्यक्ति को लिवर फाइब्रोसिस या लिवर कैंसर व लिवर सिरोसिस भी हो जाता है। अल्कोहल लेने, ऑटोइम्यून डिजीज व कुछ दवाओं के कारण भी बीमारी होती है।
हेपेटाइटिस कितने तरह का होता है?
हेपेटाइटिस-ए दूषित खाने और पानी से होता है।
हेपेटाइटिस-बी संक्रमित व्यक्ति के ब्लड के ट्रांसफ्यूशन से होता है।
हेपेटाइटिस-सी ब्लड और संक्रमित सीरिंज के प्रयोग से होता है।
हेपेटाइटिस-डी जो पहले से एचबीवी वायरस से संक्रमित चपेट में आते हैं।
हेपेटाइटिस-ई विषाक्त पानी और खाने के कारण ज्यादा होता है, दुनिया के ज्यादातर देशों में संक्रमित हैं।
इसके लक्षण क्या हैं?
पीलिया, त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, मूत्र का रंग गहरा होना, अत्यधिक थकान, मतली, उल्टी, पेट दर्द, सूजन, भूख कम लगना, वजन घटना प्रमुख लक्षण हैं।
हेपेटाइटिस में कौन जांचें जरूरी हैं?
ब्लड, लिवर, यूरिन, अल्ट्रासाउंड की जांच से पता करते हैं।