scriptसबसे खतरनाक है हेपेटाइटिस-सी, जानिए इससे जुड़ी खास बातें | know about Hepatitis | Patrika News

सबसे खतरनाक है हेपेटाइटिस-सी, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

locationजयपुरPublished: Jun 09, 2019 05:38:46 pm

हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ा रोग है जो वायरल इंफेक्शन से होता है।

know-about-hepatitis

हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ा रोग है जो वायरल इंफेक्शन से होता है।

अभी तक मार्केट में केवल हेपेटाइटिस-बी के लिए ही ओरल (खाने वाली) दवा मिल रही थी जबकि हेपेटाइटिस-सी का इलाज इंजेक्शन से होता था। लेकिन अब हेपेटाइटिस-सी की ओरल दवा भी मार्केट में आ चुकी है। यह इंजेक्शन की तुलना में न सिर्फ सस्ती है बल्कि 90% तक कारगर भी। हेपेटाइटिस-सी के लिए अभी तक टेग्लो इंटरफेरॉन इंजेक्शन देते थे। जिससे हेपेटाइटिस-सी को ठीक होने में 12-15 माह का समय लगता था और महज 50-60मरीज ही ठीक हो पाते थे। लेकिन नई ओरल दवा में सोफोसबुबीर व डेक्लेटासोविर शामिल हैं जिसे डॉक्टरी सलाह से एक गोली रोज लेनी होती है। साथ ही नब्बे प्रतिशत मरीज सिर्फ 12 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं। यह पुरानी दवा के मुकाबले 90 फीसदी सस्ती है।

इस रोग के पांच वायरस लिवर के दुश्मन-

हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ा रोग है जो वायरल इंफेक्शन से होता है। इस अवस्था में लिवर में सूजन व जलन की समस्या होती है। इसके लिए पांच तरह (ए, बी, सी, डी और ई) के हेपेटाइटिस वायरस जिम्मेदार होते हैं। इनमें टाइप-बी व सी घातक रूप लेकर लिवर सिरोसिस और कैंसर को जन्म देते हैं।

हेपेटाइटिस-ए –
यह वायरस दूषित भोजन और पानी से शरीर में फैलता है। लिवर व हाथ-पैरों में सूजन, भूख न लगना, बुखार, उल्टी व जोड़ों में दर्द रहता है।

हेपेटाइटिस-बी-
यह वायरस संक्रमित रक्त, थूक या यूरिन के जरिए फैलता है। लिवर पर असर होने से रोगी को उल्टी, थकान, पेटदर्द, त्वचा का रंग पीला होने जैसी दिक्कतें होती हैं। यह लिवर का क्रॉनिक रोग है जो लिवर सिरोसिस व कैंसर का रूप ले लेता है।

हेपेटाइटिस-सी-
हेपेटाइटिस-ए व बी की तुलना में यह वायरस ज्यादा खतरनाक है। शरीर पर टैटू गुदवाने, दूषित रक्त चढ़वाने, संक्रमित सुई के प्रयोग या दूसरे के शेविंग किट के इस्तेमाल से यह फैलता है। इसके लक्षण गंभीर अवस्था में कुछ समय बाद ही दिखाई देते हैं।

हेपेटाइटिस-डी-
हेपेटाइटिस-बी व सी के मरीजों में इसकी आशंका ज्यादा होती है। लिवर में संक्रमण से उल्टी और हल्का बुखार आता है।

हेपेटाइटिस-ई-
यह वायरस दूषित खानपान से फैलता है। भारत में इसके केस काफी कम होते हैं। इससे प्रभावित होने पर मरीज को थकान, वजन घटने, त्वचा पर पीलापन और हल्का बुखार आता है।

सेहत पर असर –
जांचें: कुछ कॉमन लक्षण जैसे लिवर का आकार बढऩे, त्वचा की रंगत में पीलापन, पेट में पानी होने और शारीरिक बदलावों को देखकर लिवर फंक्शन टैस्ट, पेट का अल्ट्रासाउंड व लिवर बायोप्सी कराने की सलाह दी जाती है।
इलाज: एक्यूट स्थिति कुछ दिनों में सावधानी बरतकर स्थिति सामान्य हो जाती है। लेकिन यदि अवस्था गंभीर हो तो दवाएं देते हैं। लिवर को यदि क्षति पहुंची है तो लिवर ट्रांसप्लांट भी करते हैं।
बचाव: घर व आसपास गंदगी न फैलने दें। बच्चों व बड़ों का टीकाकरण जरूर करवाएं। शराब और धूम्रपान से दूरी बनाएं। प्रभावित व्यक्तिकारेजर इस्तेमाल न करें।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो