एन्युरिज्म-
इस समस्या में एऑर्टा धमनी का आकार बढ़ने लगता है। इससे इसके किसी भी समय फटने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है। इसके अधिकतर मामले 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में पाए जाते हैं जिनमें पुरुष की संख्या ज्यादा है।
कारण : लंबे समय तक हाई ब्लड पे्रशर की समस्या के अलावा धूम्रपान व कोलेस्ट्रॉल से भी इस धमनी का आकार बढ़ जाता है।
लक्षण : आकार बढऩे से यह धमनी अन्य अंगों को प्रभावित करने लगती है जिससे व्यक्ति को पेट, पीठ व सीने में दर्द होता है।
स्युडोएन्युरिज्म-
एक्सीडेंट या सर्जरी के बाद एऑर्टा को क्षति पहुंचने और इससे रक्तस्त्राव होने की स्थिति को स्युडोएन्युरिज्म कहते हैं। यह जानलेवा स्थिति है।
कारण : सड़क हादसों में यह धमनी क्षतिग्रस्त हो जाती है। अधिक रक्तस्त्राव की स्थिति या 50% मामलों में इलाज से पहले ही मरीज की मृत्यु हो जाती है।
एऑर्टिक डिस्सेक्शन-
इसमें एऑर्टा की आंतरिक परतें यानी रक्त वाहिकाएं टूट जाती हैं। एऑर्टा धमनी के कमजोर होने से भी इसके टूटने की आशंका बढ़ जाती है। यह मौत का कारण भी बन सकती है।
कारण : इसके ज्यादातर मामले धूम्रपान व हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में देखने को मिलते हैं। मार्फन सिंड्रोम जो एक जेनेटिक परेशानी है, के कारण भी 25 साल की उम्र में एऑर्टा धमनी कमजोर हो जाती है।
लक्षण : इस समस्या में मरीज को अचानक सीने और पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, बोलने, देखने में परेशानी के साथ कमजोरी महसूस होना। इसके अलावा शरीर के किसी एक हिस्से का सुन्न होना।
इलाज : एंडोवेस्कुलर एन्युरिज्म रिपेयर (ईवीएआर) तकनीक से इलाज होता है। इसमें पैर में सुई डालकर एऑर्टा में स्टेंट ग्राफ्ट डालते हैं। साथ ही ब्लड प्रेशर को नियंत्रित और कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं।