भारतीय चिकित्सा अनुंसधान परिषद ( आईसीएमआर) के आंकड़ों में कहा गया है कि 2016 में स्तन कैंसर के डेढ़ लाख नए मामले सामने आए हैं। भारत में, प्रतिवर्ष प्रत्येक पच्चीस महिलाओं में से एक में कैंसर का पता लगता है और अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में यह आंकड़ा प्रति आठ महिलाओं में से एक है।
डॉक्टरों का कहना है कि दुनियाभर में 40 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में से सात प्रतिशत स्तन कैंसर से पीडि़त है, जबकि भारत में यह दर 15 प्रतिशत है औैर इनमें से एक प्रतिशत मरीज पुरुष हैं। युवा भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर में वृद्धि के कारण इसका वंशानुगत होने के अलावा,निष्क्रिय जीवनशैली, शराब, धूम्रपान, मोटापे में वृद्धि, तनाव और खराब आहार आदि प्रमुख है।
चिकित्सकों का मानना है कि लोगों को जागरूक बनाया जाना बेेहद जरूरी है ताकि प्रारंभिक चरणों में अधिकांश स्तन कैंसर का पता लगाया जा सके क्योंकि स्तन कैंसर से ग्रस्त अधिकांश महिलाएं मेटास्टेसिस के बाद आती हैं जब ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका होता है। चिकित्सकों के अनुसार, कैंसर के मेटास्टेटिस या उन्नत चरणों में होने पर यह पूरी तरह से इलाज योग्य नहीं रह पाता है।