मेटेलिक ब्रेसेज : इसमें दांतों पर लगने वाला बे्रकेट और तार दोनों ही मेटल के होतेे हंै और डॉक्टर अधिक उम्र के लिए इसे सबसे ज्यादा प्रयोग में लेते हैं। इनसे परेशानी में जल्दी सुधार होने के साथ ही इनकी देखरेख में दिक्कत भी कम होती है।
सेरेमिक ब्रेसेज : ये मुख्य रूप से पारदर्शी व दांत के रंग जैसे होते हैं जिन्हें तार की मदद से दांतों पर फिक्स करते हैं। इनकी देखरेख में सावधानी जरूरी होती है।
लिंगुअल ब्रेसेज : बत्तीसी के अंदर की तरफ लगने के कारण ये सामने दिखाई नहीं देते। जिन्हें बे्रसेज लगने के कारण भद्दा दिखने जैसा महसूस हो वे इसे लगवा सकते हैं।
क्लियर अलायनर : पारदर्शी होने के कारण ये पूरे दांत पर कवर की तरह फिक्स हो जाते हैं। जिनके दांतों में सुधार की ज्यादा जरूरत न हो, उनमें इन्हें प्रयोग करते हैं।
18 वर्ष की उम्र से पहले ही क्यों?
हमारे जबड़े को पूरी तरह से विकसित होने व आकार लेने में १८ साल लगते हैं क्योंकि इस उम्र तक शरीर में सभी अहम बदलाव हो जाते हैं और शारीरिक संरचना में स्थिरता आ जाती है। अब युवा व वृद्धावस्था में ब्रेसेज लगवाकर टेढ़े-मेढ़े दांत, जबड़ों का आगे-पीछे होना, इंप्लांट, गैप हटाने जैसी तकलीफ दूर हो सकती है। लेकिन अधिक उम्र की वजह से परेशानी को सही होने में २-३ साल का समय लग सकता है।