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95 प्रतिशत नवजातों में दिल का इलाज संभव

locationजयपुरPublished: Sep 12, 2018 05:01:51 am

नवजातों में दिल की बीमारी हर एक हजार बच्चों में से 8-12 बच्चों में होती है।

95 प्रतिशत नवजातों में दिल का इलाज संभव

95 प्रतिशत नवजातों में दिल का इलाज संभव

नवजातों में दिल की बीमारी हर एक हजार बच्चों में से 8-12 बच्चों में होती है। भारत में प्रतिवर्ष करीब डेढ़ लाख बच्चे दिल की बीमारी के साथ पैदा होते हैं। इनमें से 80 हजार को तुरंत ऑपरेशन की जरूरत होती है, लेकिन सिर्फ चार हजार नवजातों को ही इलाज मिल पाता है।

बच्चों में हृदय की कौनसी बीमारियां ज्यादा होती हैं?
बच्चों में ज्यादातर दिल में सुराग होना, धमनियों का गलत जुड़ाव व रक्त नलियों में रुकावट के मामले सामने आते हैं। मां-बाप को बीमारी के शुरुआती संकेतों पर ध्यान रखना चाहिए जैसे बार-बार खांसी-जुकाम या निमोनिया, रक्त में ऑक्सीजन की कमी से शरीर का नीला पडऩा, बेवजह संास फूलना, वजन ना बढऩा या ग्रोथ रुक जाना।

क्या सर्जरी के बाद बच्चा आम बच्चों की तरह जीवन जी सकता है ?
करीब 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों के हृदय रोगों का इलाज 95 प्रतिशत सफलता से किया जा सकता है। ऐसे लगभग सभी बच्चे सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। स्थिति के अनुसार चिकित्सक कुछ सावधानी बरतने की सलाह अभिभावकों को देते हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी है।

हृदय रोग कम करने के लिए क्या करना चाहिए?
दूरदराज के डॉक्टरों और समाज में इन बीमारियों के प्रति जागरुकता बढ़ाई जानी चाहिए ताकि इन बच्चों को स्पेशलाइज्ड पीडियाट्रिक कार्डियक हॉस्पिटल में वक्त रहते सही इलाज दिया जा सके। ऐसे हालात में समय का काफी महत्व है।

फैमिली हिस्ट्री है तो रहें अलर्ट
जिन लोगों के परिवार में हृदय रोग के मरीज रहे हैं उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज
बुरा कोलेस्ट्रॉल बढऩे से होने वाली यह बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है। वल्र्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक अगर पिता या भाई में से किसी को 55 की उम्र से पहले अथवा मां या बहन में से किसी को 65 साल की उम्र से पहले हार्ट अटैक हुआ हो, तो परिजनों को हार्ट डिजीज की आशंका अधिक होगी। इसके अलावा कार्डियोमायोपैथी (हृदय की संरचना में बदलाव व ब्लड पंप करने की क्षमता घटना), हार्ट रिद्म प्रॉब्लम (अरिद्मिया), एऑर्टा से जुड़ी बीमारी के इलाज में लेटलतीफी हार्ट के लिए दिक्कत पैदा कर सकती है। जानें फैमिली हिस्ट्री होने पर क्या रखें ध्यान-
ऐसे कम होगा जोखिम
कोरोनरी आर्टरी डिजीज का शुरुआती चरण में पता नहीं चलता। इसलिए परिवार में किसी को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही हो तो अलर्ट हो जाएं। जर्नल ऑफ दी अमरीकन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक भाई या बहन को हार्ट डिजीज होने पर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज होने का जोखिम 100 फीसदी बढ़ जाता है। इसकी वजह भाई-बहनों में समान जींस के अलावा एक जैसी खानपान की आदतों का होना है। ऐसे में बीपी चेक करें, लिपिड प्रोफाइल टैस्ट और ब्लड शुगर की नियमित जांच कराएं। साथ ही बच्चों के कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच दो वर्ष की आयु से ही शुरू कर देनी चाहिए। हैल्दी डाइट लें व व्यायाम जरूर करें।

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