उड़द के उत्पादन में भी मदद
ऐसा नहीं है कि ग्रीष्मकाल में सिर्फ मूंग के उत्पादन को ही प्रोत्साहित किया जा रहा हो बल्कि उडद के उत्पादन में भी तकनीकी मदद विभाग द्वारा की जा रही है किसानों को इस मौसम मे ंउत्पादन के लिये उन्हें बीजों का वितरण किया गया है यहां देवरगढ बांध सहित नर्मदा के पानी का उपयोग कैसे किया जाये इसके लिये किसानों को प्रेरित किया गया और उमरिया, सरसी, सुडगांव, राखी, सारसडोली, जरहानैझर, मरवारी, सीधो सहित अन्य गावों में उडद का व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया जाने लगा है।
पलायन रोकने में सहायक
अगर साल भर खेतों से उत्पादन किया जाये तो काम की तलाश में पलायन पर भी रोक लगाई जा सकती है गौरतलब है कि जिले के अधिकंाश गांवों से बडी संख्या में मजदूर काम की तलाश में पलायन करते हैं प्रदश के विभिन्न जिलों के अलावा अन्य प्रदेशों में भी बडी संख्या में किसान मजदूरी के लिये जाते हैं हर मौसम में यदि किसानी का काम होने लगे तो यहां से पलायन पर भी रोक लगाई जा सकती है।
निरंतर खेती भी बन सकता है लाभ का धंधा
जिले में कृषि भूमि की अधिकता है लेकिन यहां पर साल भर उत्पादन नहीं होता है संसाधनों के बावजूद तकनीकी ज्ञान के अभाव में खेती को बढिया काम नहीं माना जाता है बडा हिस्से को खाली रखा जाता है और इसमें किसी तरह की उपज नहीं ली जाती है यहां उत्पादित मोटे अनाज भी अन्य स्थानों पर महंगे दामों पर बिकते हैं अब कृषि विभाग ने ग्रीष्मकाल में भी किसानों को खेती के लिये प्रेरित किया है जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं अपनी लहलहाती फसल को देखकर किसान भी खुश हैं यदि कृषि भूमि का साल भर इस तरह से उपयोग किया जाये तो निश्चित तौर पर खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है।
ग्रीष्मकालीन फसलों को लेकर अभी तक किसानों की रूचि दिखाई नहीं देती थी विभाग ने मूंग और उडद के बीजों का वितरण कर प्रदर्र्शन के लिये किसानों के खेतों पर लगाया है जिससे किसानों में खुशी है अभी फसलें लहलहा रही हैं जिले में बने सिंचाई बांधों का अधिकाधिक उपयोग कैसे किया जाये इस दिशा में विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। ग्रीष्मकालीन फसलों के उत्पादन से किसानों को साल के बडे हिस्से में भी खेती का विकल्प मिला है और किसान इस तरह के उत्पादन से आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में बढ रहे हैं।
सीआर अहिरवार, एसडीओ कृषि विभाग