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पानी ने बदली किसानों की किस्तम, जिंदगी में आया बड़ा बदलाव

locationडिंडोरीPublished: May 29, 2019 02:35:28 pm

Submitted by:

shivmangal singh

सिंचाई की उपलब्धता से किसानों ने ग्रीष्मकालीन फसलों का किया उत्पादन

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पानी ने बदली किसानों की किस्तम, जिंदगी में आया बड़ा बदलाव

डिंडोरी (लक्ष्मी नारायण अवधिया ). कृषि क्षेत्र में अति पिछडे जिले में भी अब खेती को लेकर किसानों की रूचि जागी है अलग अलग क्षेत्रों में बने बांधों के पानी का भरपूर उपयोग किसान कर रहे हैं और ग्रीष्मकाल में भी जब कोई फसल नहीं ली जाती थी वहां बडे इलाके में हरियाली लहलहा रही है कृषि विभाग ने ऐसे क्षेत्र चिन्हित कर किसानों को तकनीकी मदद करते हुये उन्हें बीज की उपलब्धता कराई है और खरीफ की फसलों का उत्पादन भी अब ग्रीष्मकाल में होने लगा है खेती में नित नये प्रयोगों से किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं। कृषि विभाग के एसडीओ सीआर अहिरवार ने बताया कि कुछ सालों पहले तक किसानों के लिये खेती के दो ही मौसम होते थे एक रबी और दूसरा खरीफ का। किसान भी चिन्हित बीजों का उत्पादन भगवान भरोसे करते थे जिले में बांधों के निर्माण के साथ ही पानी की उपलब्धता भी बढी लेकिन किसानों को यह नहीं मालूम था कि ग्रीष्मकाल में भी वह फसलों का उत्पादन कर सकते हैं लिहाजा विभाग ने किसानों के पास पहुंच उन्हें ग्रीष्मकालीन फसलों के उत्पादन के संबंध में जानकारी दी। अहिरवार ने बताया कि इस साल पूरे जिले में 100 किसानों को 100 हेक्टेयर में मूंग के उत्पादन के लिये प्रेरित किया गया और 25 क्विंटल बीज उपलब्ध कराते हुये उन्हें तकनीकी मदद की गई आज परिणाम यह हुआ कि प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक का उत्पादन संभावित दिखाई देने लगा कुल मिलाकर दो हजार क्विंटल मूंग के उत्पादन की उम्मीद फसल की स्थिति को देखकर लगाई जा सकती है। बताया गया कि शहपुरा विकासखण्ड के ही शहपुरा, बरगांव, बिजौरी माल, चरगांव में व्यापक पैमाने पर किसानों को मूंग के बीज का वितरण किया गया है।

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उड़द के उत्पादन में भी मदद
ऐसा नहीं है कि ग्रीष्मकाल में सिर्फ मूंग के उत्पादन को ही प्रोत्साहित किया जा रहा हो बल्कि उडद के उत्पादन में भी तकनीकी मदद विभाग द्वारा की जा रही है किसानों को इस मौसम मे ंउत्पादन के लिये उन्हें बीजों का वितरण किया गया है यहां देवरगढ बांध सहित नर्मदा के पानी का उपयोग कैसे किया जाये इसके लिये किसानों को प्रेरित किया गया और उमरिया, सरसी, सुडगांव, राखी, सारसडोली, जरहानैझर, मरवारी, सीधो सहित अन्य गावों में उडद का व्यापक पैमाने पर उत्पादन किया जाने लगा है।
पलायन रोकने में सहायक
अगर साल भर खेतों से उत्पादन किया जाये तो काम की तलाश में पलायन पर भी रोक लगाई जा सकती है गौरतलब है कि जिले के अधिकंाश गांवों से बडी संख्या में मजदूर काम की तलाश में पलायन करते हैं प्रदश के विभिन्न जिलों के अलावा अन्य प्रदेशों में भी बडी संख्या में किसान मजदूरी के लिये जाते हैं हर मौसम में यदि किसानी का काम होने लगे तो यहां से पलायन पर भी रोक लगाई जा सकती है।
निरंतर खेती भी बन सकता है लाभ का धंधा
जिले में कृषि भूमि की अधिकता है लेकिन यहां पर साल भर उत्पादन नहीं होता है संसाधनों के बावजूद तकनीकी ज्ञान के अभाव में खेती को बढिया काम नहीं माना जाता है बडा हिस्से को खाली रखा जाता है और इसमें किसी तरह की उपज नहीं ली जाती है यहां उत्पादित मोटे अनाज भी अन्य स्थानों पर महंगे दामों पर बिकते हैं अब कृषि विभाग ने ग्रीष्मकाल में भी किसानों को खेती के लिये प्रेरित किया है जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं अपनी लहलहाती फसल को देखकर किसान भी खुश हैं यदि कृषि भूमि का साल भर इस तरह से उपयोग किया जाये तो निश्चित तौर पर खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है।
ग्रीष्मकालीन फसलों को लेकर अभी तक किसानों की रूचि दिखाई नहीं देती थी विभाग ने मूंग और उडद के बीजों का वितरण कर प्रदर्र्शन के लिये किसानों के खेतों पर लगाया है जिससे किसानों में खुशी है अभी फसलें लहलहा रही हैं जिले में बने सिंचाई बांधों का अधिकाधिक उपयोग कैसे किया जाये इस दिशा में विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। ग्रीष्मकालीन फसलों के उत्पादन से किसानों को साल के बडे हिस्से में भी खेती का विकल्प मिला है और किसान इस तरह के उत्पादन से आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में बढ रहे हैं।
सीआर अहिरवार, एसडीओ कृषि विभाग

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