scriptआदिवासियों व उनकी संस्कृति एवं कला को समझने वाला हो जन प्रतिनिधि | JAN AGENDA : Leader should be understand tribal cuture an value | Patrika News

आदिवासियों व उनकी संस्कृति एवं कला को समझने वाला हो जन प्रतिनिधि

locationडिंडोरीPublished: Sep 21, 2018 08:42:12 pm

Submitted by:

shivmangal singh

जन एजेण्डा कार्यक्रम में बोले जन प्रतिनिधि व समाज सेवी

shahdol

आदिवासियों व उनकी संस्कृति एवं कला को समझने वाला हो जन प्रतिनिधि

शहपुरा। आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडोरी के सहपुरा विधानसभा क्षेत्रअंतर्गत जलपद मुख्यालय में पत्रिका एजेंडा 2018-23 की बैठक आयोजित की गई। जिसमें जन प्रतिनिधियों में समाज सेवियों ने अपनी बात रखी। इस बैठक में क्षेत्र की समस्याओं के साथ ही आवश्यक्ताओं के मुद्दे भी उठे। सभी ने एक मत से यही बात कही की क्षेत्र वासियों की समस्याओं को समझने वाला जन प्रतिनिधि चाहिए। बैठक के दौरान आम नागरिकों व समाज सेवियों ने बताया कि योजनाएं तो बहुत हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन सही ढ़ंग से नहीं हो पा रहा है। योजनाओं का लाभ धरातल पर पात्रों को नहीं मिल पा रहा है। इसे लेकर जन प्रतिनिधि भी कोई ठोस पहल नहीं कर रहे हैं। जिसके चलते विधानसभा क्षेत्र का विकास पूरी तरह से अवरुद्ध है।
आदिवासी बाहुल्य जिला होने की वजह से यहां की संस्कृति, आदिवासी कला, वन संपदा की देखरेख व संरक्षण की बात करने वाला कोई नहीं है। जिसके चलते इनका अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। सड़क, बिजली, पानी के साथ ही शिक्षा व स्वास्थ्य यहां कि महत्वपूर्ण आवश्यक्ता है। जिसकी पूर्ति अभी तक नहीं हो पाई है। पलायन रुक नहीं रहा है रोजगार की तलाश में युवाओं के साथ मजदूर वर्ग बहुतायत मात्रा में पलायन कर रहे हैं। जिसे रोकने अभी तक कोई कार्य योजना नहीं बनाई गई है। मजदूरों व युवाओं का पलायन क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। यदि यही स्थिति रही तो विधानसभा क्षेत्र की स्थिति बद से बदतर हो जाएगी। बैठक में मुख्य रूप से थानी सिंह धुर्वे, तेजेश्वर साहू, काशी अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, खुशी लाल तिवारी, संतोष सिंह, रबि गोस्वामी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
इन मुद्दों को बताया अहम
विद्यालयों व महाविद्यालयों में हो शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति।
रोजगार के साधनों का सृजन महती आवश्यक्ता।
रोजी रोटी की तलाश में पलायन कर रहे लोगों के लिए बने योजना।
चिकित्सालयों में चिकित्सक व संसाधनो की हो व्यवस्था।
आदिवासी संस्कृति व कला का संरक्षण।
जीवन दायनी नदियों का हो संरक्षण।
क्षेत्र में व्याप्त जल संकट के निदान के लिए हों प्रयास।
सिंचाई के संसाधनों को जुटाने हो प्रयास।
छोटे-छोटे उद्योगों की स्थापना हो जिससे मजदूर वर्ग को रोजगार मिले
शासन की योजनाओं का पात्रों को लाभ मिले।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो