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खाते समय करेंगे बात तो होगी डकार की समस्या, जानें इसके बारे में

locationजयपुरPublished: Oct 13, 2019 03:48:09 pm

खाने के दौरान बात न करें, इससे खाने के साथ मुंह के रास्ते पेट में हवा जाती है जिससे डकार आती है।

खाते समय करेंगे बात तो होगी डकार की समस्या, जानें इसके बारे में

know about Indigestion and belching problem

पेट संबंधी रोग से जुड़े रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसमें गैस, भारीपन, अपच और कब्ज के मरीज शामिल हैं। समय पर इलाज जरूरी है वर्ना ये अन्य रोगों की वजह बनते हैं। इनसे बचाव के लिए दिनचर्या-खानपान सही रखें। जैसे सुबह का नाश्ता हैवी होना चाहिए। दोपहर का खाना टुकड़ों में लेना व डिनर जितनी भूख हो उससे कम लें। खाने के दौरान बात न करें, इससे खाने के साथ मुंह के रास्ते पेट में हवा जाती है जिससे डकार आती है।

गैस की समस्या –
नाभि पर भारीपन महसूस होने की समस्या को डिस्पेप्सिया कहते हैं। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को मोटापा, भारीपन, आंतों में रुकावट या उसकी गति का धीमा होना महसूस होता है। बचाव के लिए डिनर में हल्का खाना लेंं जैसे दलिया, खिचड़ी आदि। भोजन के बाद 15 मिनट टहलें। मसालेदार भोजन न करें।

ये लक्षण दिखें तो डॉक्टरी सलाह लें –
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द रहना और रात के समय दर्द अधिक हो जाना।
खाना खाने के बाद ही पेट दर्द कम होना, कई बार पेट में जलन या अपच की स्थिति भी हो सकती है।
पेट में छाले या छोटी फुंसी होने पर स्टूल या खांसी के दौरान ब्लड निकलना।
खट्टी डकार, छाती में जलन, एसिड संबंधी समस्या होने के कारण बार-बार उल्टी होना।
पेट में लंबे समय से हल्का मीठा दर्द होना।

इंटेस्टाइनल ऑब्सट्रक्शन –
मलत्याग में तकलीफ होना या अचानक बंद होना इस रोग का लक्षण है। ऐसे में रोगी को हरी और पीली पित्त जैसी उल्टी होती है। पेट से जुड़े ऑपरेशन या पेट में कीड़े होने पर ऐसा होता है। कैंसर रोगी में रेडियोथैरेपी के दौरान भी यह समस्या होती है।

हार्ट बर्न-(सीने में जलन) –
गैस्ट्रो-इसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) से हार्ट बर्न की समस्या होती है। इसमें खाना-पानी एक साथ मुंह में आता है। बचाव के लिए चाय, कॉफी, मिठाई, कोल्ड ड्रिंक्स, चॉकलेट आदि कम लें। एक समय में कई तरह का खाना न खाएं।

इनसे बनाएं दूरी-
मिर्च मसाला व तलाभुना खाना, जंक-फास्ट फूड व बासी खाना और सिगरेट-शराब से दूरी बनाएं। ये पेट में गर्मी करती हैं जिससे संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ता है। पेट से जुड़े रोग होने पर डाइट में हरी सब्जियां और मौसमी फल ही लें।

बचाव है जरूरी –
पेट संबंधी रोगों से बचाव के लिए दिनचर्या के साथ खानपान को संतुलित रखें। घर पर बना खाना खाएं। इसमें हाई-फायबर युक्तचीजों को शामिल करें। मौसमी फलों के साथ हरी सब्जियां जैसे पालक, बथुआ और साग को अधिक लें। सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक क्रिया को पूरा करें और नियमित तौर पर हल्का व्यायाम करें। सुबह-शाम आंवले का प्रयोग करने से पेट से जुड़े रोगों से दूर रहेंगे।

हेपेटाइटिस – लिवर में सूजन हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है। इसमें एक्यूट या क्रॉनिक हेपेटाइटिस का खतरा अधिक रहता है। सूजन हाल ही हुई है तो इसे एक्यूट हेपेटाइटिस कहते हैं। अगर यह छह महीने से अधिक समय से है तो क्रॉनिक है। कारण दूषित खानपान, पानी, ब्लड, असुरक्षित यौन संबंध समेत एक से दूसरे व्यक्ति को होने वाला संक्रमण है। बचाव के लिए साफ-सफाई रखें, खाना चबा-चबाकर खाएं व भोजन के तुरंत बाद लेटें या सोएं नहीं।

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