जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया है कि ग्रीन टी में पाया जाने वाला प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट एपिगैलोकैटेचिन (ईजीसीजी) आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीबायोटिक, अजट्रेनाम ( Aztreonam ) की गतिविधि को बहाल कर सकता है। एक्ट्रेकोनम काे रोगजनक बैक्टीरिया स्यूडोसैमस एरुगिनोसा के कारण होने वाले संक्रमण का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
एरुगिनोसा पर ईजीसीजी और अजट्रेनाम के प्रभाव काे देखने के लिए, शोधकर्ताओं ने इन विट्रो परीक्षणों का विश्लेषण किया। जिसमें पाया कि अकेले अजट्रेनाम एंजेट की अपेक्षा ईजीसीजी और अजट्रेनाम का संयाेजन एरुगिनोसा संख्या को कम करने में काफी प्रभावी था।
शाेध के वरिष्ठ लेखक व सरे विश्वविद्यालय में पशु चिकित्सा के स्कूल में वरिष्ठ अनुसंधान फेलो डॉ. जोनाथन बेट्स ने कहा कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) ( Antimicrobial Resistance ) वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं के बिना,सफलता के साथ उपचार नहीं किया जा सकता। हमें एएमआर के खिलाफ लड़ाई में असरदार एंटीबायोटिक दवाओं को विकसित करने की आवश्यकता है। ईजीसीजी जैसे प्राकृतिक उत्पादाें का वर्तमान में लाइसेंस प्राप्त एंटीबायोटिक दवाओं के साथ संयोजन में उपयोग करना, उनकी प्रभावशीलता और नैदानिक रूप से उपयोगी जीवनकाल में सुधार का एक तरीका हो सकता है।”
सरे विश्वविद्यालय में पशु चिकित्सा स्कूल में पैथोलॉजी और संक्रामक रोगों के विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रॉबर्टो ला रागियोन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंटीबायोटिक प्रतिरोधी ( Antibiotics Resistance ) स्यूडोमोनस एरुगिनिन ( Pseudomonas aeruginosa ) को मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण खतरे के रूप में सूचीबद्ध किया है। हमने दिखाया है कि हम पहले से ही उपयोग में आने वाले एंटीबायोटिक दवाओं ( Antibiotics Medicine ) के साथ प्राकृतिक उत्पादों का संयोजन कर इस तरह के खतरों को सफलतापूर्वक समाप्त कर सकते हैं, इस तरह के संयाेजन के विकास से भविष्य में एंटीबायोटिक्स नैदानिक उपचार में आैर भी प्रभावशाली हाे सकती हैं।”