प्रतिदिन दो चम्मच काले तिल को चबाकर खाइए और उसके बाद ठंडा पानी पिएं। ऐसा नियमित करने से पुरानी बवासीर में आराम मिलता है।
भुने काले तिलों को गुड़ के साथ मिलाकर लड्डू बना लें। बच्चों को यह लड्डू रोजाना रात को सोने से पहले खिलाएं। इससे बच्चा रात को बिस्तर गीला नहीं करेगा।
यदि सूखी खांसी हो तो 4-5 चम्मच मिश्री और इतने ही तिल मिला लें। इन्हें एक गिलास में आधा पानी रहने तक उबालें। इसे दिनभर में तीन बार पिएं।
एक शोध के अनुसार सर्दी में तिल व इसके तेल का प्रयोग डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयोगी होता है।
20-25 ग्राम तिल चबाकर ऊपर से गुनगुना पानी पीने से पेटदर्द में आराम मिलता है।
50 ग्राम तिल भूनकर उसे कूट लें और थोड़ी चीनी मिलाकर खाएं। इससे कब्ज में राहत मिलेगी।
अदरक वाली चाय में दो ग्राम तिल मिलाकर कुछ देर उबालें। खांसी में आराम मिलेगा।
रोजाना सुबह के समय काले तिल चबाकर खाने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
तिल, सौंठ, मेथी और अश्वगंधा सभी को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह इसे खाने से आर्थराइटिस की समस्या में आराम होगा।
सर्दी में तिल खाने से कफ व सूजन से राहत मिलती है।
प्रोटीन से भरपूर तिल के तेल में चिपचिपाहट नहीं होती। इसके इस्तेमाल से बालों में चमक और मजबूती आती है। रोजाना इस तेल के प्रयोग से बालों के असमय सफेद होने की समस्या से मुक्ति मिलती है।
तिल के तेल से नियमित सिर की मसाज करने से कोशिकाएं सक्रिय होती हैं और बाल लंबे होते हैं।
इसके तेल से सिर की त्वचा को पोषण मिलता है व रक्तप्रवाह बेहतर होता है जिससे दो-मुंहे बालों की समस्या दूर होती है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार हृदय रोगी, ब्लड प्रेशर व अस्थमा के मरीज, मोटापा, सर्दी-जुकाम की समस्या होने पर तिल व इसके तेल के प्रयोग से बचें क्योंकि यह कफ को बढ़ाकर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी बढ़ा देता है। यदि प्रयोग करना चाहते हैं तो विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही तेल को 10 ग्राम की मात्रा से अधिक न लें। इसके अलावा तिल को भूनकर या गुड़ के साथ खाएं इससे कैल्शियम व अन्य पौष्टिक तत्त्व मिलते हैं।