सिरदर्द में बील पत्र के रस से भीगी पट्टी माथे पर रखें। पुराना सिरदर्द होने पर कुछ पत्तों का रस निकाल कर पिएं। गर्मियों में इसमें थोड़ा पानी मिला लें।
मोच या अंदरुनी चोट में बील के पत्तों को पीसकर थोड़े गुड़ में पकाएं। इसे पीड़ित अंग पर बांध दें। दिन में तीन-चार बार इसे बदलें, लाभ मिलता है।
पके हुए बील में चिपचिपापन होता है इसलिए यह डायरिया रोग में काफी लाभप्रद है और शरीर में पानी की कमी को दूर करता है।
पका बील खाने से वात और कफ रोग दूर होते हैं।
गर्मी के मौसम में पेट के साथ दिमाग के लिए भी ठंडक बेहद जरूरी होती है। इस मौसम में बील या बेल ठंडक देता है। गर्मियों में लू लगने पर इसका शर्बत पीने से आराम मिलता है।