ब्राउन ब्रेड
अक्सर लोग ‘ब्रेड’ को नुकसानदायक मानते हुए इसके विकल्प के रूप में ‘ब्राउन ब्रेड’ खाते हैं। उन्हें लगता है कि यह मैदा नहीं बल्कि गेंहूं के आटे से बनी होती है। यह एक भ्रम मात्र है। इसे भी उन्हीं चीजों से बनाया जाता है, जिनसे व्हाइट ब्रेड को बनाते हैं। इसमें ब्राउन कलर या कैरामल का इस्तेमाल किया जाता है। ये चीजें स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं। हां, आप व्होल व्हीट, व्होल ग्रेन या हाई फाइबर ब्रेड का चयन करें, तो आपकी सेहत के लिए ज्यादा मुफीद होगा।
मल्टीग्रेन बिस्किट
ज्यादातर लोग सोचते हैं कि यह मल्टीग्रेन आटे की रोटी की तरह हैल्दी फूड है. जबकि असलियत यह है कि ज्यादातर निर्माता इन्हें स्वादिष्ट बनाने के लिए इनमें चीनी और वसा का अधिक उपयोग करते हैं। इसलिए इन्हें अधिक स्वास्थ्यवर्धक मानकर किसी हैल्दी फूड या मेन मील की तरह न खाएं बस साधारण बिस्किट की तरह दो-चार पीस ही खाएं।
कैन फूड
अमरीकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा किए गए शोध में पाया गया कि कैन में मौजूद बिसफेनॉल ए (बीपीए) से हायपरटेंशन का खतरा बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने कांच की बोतल और कैन (डिब्बा) में सोया मिल्क पीने वाले लोगों का तुलनात्मक अध्ययन किया। स्टडी में शामिल लोगों का बीपी, कंसंट्रेशन और ब्लड प्रेशर नापा गया। कैन बंद दूध पीने वालों का बीपी, कंसंट्रेशन 1600 फीसदी तक जा पहुंचा और बीपी भी कुछ हद तक बढ़ गया, जबकि कांच की बोतल से दूध पीने वालों में ऐसा कोई लक्षण नजर नहीं आया।
रेडी टू ईट फूड
आजकल दालमखानी, उपमा, शाही पनीर, नूडल्स, चपाती, सूप सब कुछ एक दम तैयार मिलता है बस खोलिए, उबालिए या गर्म कीजिए और खा लीजिए। ज्यादातर वर्किंग कपल्स इनके दीवाने होते हैं। लेकिन सच तो यह है कि ये चीजें कभी भी घर पर बनें ताजा भोजन का विकल्प नहीं बन सकतीं। इनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने और इन्हें चटपटा व मजेदार बनाने के लिए निर्माता फैट और सोडियम का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। कई बार इन्हें प्रिजर्वेटिव और सिंथेटिक कलर्स का भी इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इनका सेवन बहुत मजबूरी हो तभी करें।