संतों का सानिध्य कथावाचक कृपाराम महाराज ने कहा कि हर सफ ल पुरुष के पीछे नारी का योगदान होता है । नारी समाज की शक्ति है। जिस घर में नारियों को सम्मान दिया जाता है वहां देवताओं का वास होता है। भारतीय संस्कृति में आदिकाल से देवताओं के नाम के आगे भी सर्व प्रथम देवियों का नाम लिया जाता है। जैसे सीता-राम, गौरी-शंकर, राधे-श्याम और लक्ष्मी-नारायण आदि है। कथा के दौरान रूगनाथ भारती, स्वामी तृप्तानंद, कृष्णआत्मानंद, चेतनदास सहित कई संत मौजूद रहे। कथा में केसी देवी, बालाराम सऊ, पेम्पो देवी, खेमाराम आर्य, मदनलाल गोलिया, नीरज डऊकिया, रामचंद्र बांगड़वा, शंकरलाल आदि ने सहयोग किया । मुख्य यजमान रेखाराम सऊ, नागणेची गोशाला अध्यक्ष रेखा राम डऊकिया, जगमालराम, धर्माराम लेगा, रामकुमार जोशी, ताराचंद जाटोल, ओमप्रकाश, लाखाराम , सवाईराम सियाग, पुखराज लुखा डंडाली आदि मौजूद रहे। समिति के प्रवक्ता हनुमानराम डऊकिया ने बताया कि शुक्रवार को विविध प्रसंगों की व्याख्या होगी।