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छठ पूजा : 36 घंटे के कठिन उपवास को खोलने से पहले इस आरती को करने से हर मनोकामना होती हैं पूरी

locationभोपालPublished: Nov 13, 2018 12:54:22 pm

Submitted by:

Shyam

36 घंटे के कठिन उपवास को खोलने से पहले इस आरती को करने से हर मनोकामना होती हैं पूरी

Chhath Puja aarti

छठ पूजा : 36 घंटे के कठिन उपवास को खोलने से पहले इस आरती को जरूर करें, हर मनोकामना हो जायेगी पूरी

36 घंटे के बहुत ही कठिन उपवास को खोलने का दिन होता हैं छठ पूजा का अंतिम दिन, इस दिन सुबह उगते हुए सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के बाद विशेष पूजा करने के बाद व्रती 36 से चल रहे उपवास को खोलती हैं । ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद सूर्य देव की इस आरती को करने से वे शीघ्र प्रसन्न होकर अपनी संतानों की प्रत्येक मनोकामनाओं को पूरा करते ही हैं ।

 

इस बार छठ पूजा का अंतिम अर्घ्य सूर्य देव भगवान को 14 नवंबर 2018 दिन बुधवार को दिया जाएगा । अगर आप भी इस छठ पूजा में सूर्य भगवान की कृपा पाना चाहते हैं तो अर्घ्य व पूजन करने के बाद इस महाआरती का पाठ जरूर करें ।

 

भगवान सूर्यदेव की आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान ।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी ।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान ।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

 

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते ।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान ।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते ।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान ।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।


देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते ।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान ।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार ।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान ।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

 

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं ।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान ।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल ।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान ।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।

 

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा ।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान ।।
।। इति समाप्त ।।

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