नवंबर 2018 से लेकर अभी तक जिलेभर में धूमधाम से सामूहिक विवाह हुए थे। इसकी एजेंसी जनपदें थी। जिले की १० जनपदों में छह हजार 73 विवाह हुए थे। इनमें से ३६१९ को भुगतान कर दिया गया। वहीं 2454दंपती आज भी कन्यादान की राशि का इंतजार कर रहे है। विवाह के 15 से एक महीने के अंदर राशि डाली जाती थी। कन्याओं के खाते में सीधे 48 हजार रुपए भेजे जाते थे। नई सरकार ने कन्याओं के दान में राशि की बढ़ोतरी की घोषणा तो कर दी है, लेकिन राशि से इन्हें महरूम रखा जा रहा है। वहीं खातों में भुगतान नहीं आने से विवाहित जनपदों के चक्कर काट रहे है। इसमें विभागों की कोई गलती नहीं है, क्योंकि बजट ही इनके पास नहीं आ रहा है। कई लोगों ने तो सीएम हेल्प लाईन में शिकायतें कर दी है। विभाग सारा काम छोड़कर दिनभर जवाब बनाता नजर आता है।
सिंघाना और कुक्षी में सबसे ज्यादा विवाहितों को इंतजार जिले की कुक्षी विधानसभा से सुरेंद्रसिंह बघेल है। ये पर्यटन मंत्री भी है, इसके बाद भी इनके क्षेत्र की लगभग ६६८ कन्याएं और सिंघाना क्षेत्र की ९२१ कन्याएं आज भी सरकार की राशि का इंतजार कर रही है। मंत्री होने के बाद भी वे बजट तक नहीं ला पा रहे है।
11 करोड़ से अधिक बाकी
जिले भर में करोडों रुपए विवाहिताओं के बाकी है। जिले की 10 जनपदों में 2454 जोड़ों को आज भी राशि का इंतजार है। वहीं एक कन्या को 48 हजार दिया जाता है। वहीं विवाह कराने वाली समिति को तीन हजार रुपए दिए जाते है। इस लिहाज से देखा जाए तो ये आंकड़ा 12 करोड़ से अधिक का है।
हम लोगों ने बजट के लिए पत्र लिखा है। बजट आने पर सीधे जनपदों के खाते में राशि जाती है। वहां से कन्याओं को बैंक ट्रांसफर कर दिया जाता है।
अजय राय, अपर कलेक्टर सामाजिक न्याय विभाग