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पर्यटन को लेकर नहीं छटी धुंध वीरान पड़ी रूपमती की ऐतिहासिक नगरी रसातल में पहुंचा पर्यटन का ग्राफ

कहते हैं कि बारिश की पहली बूंद जैसे ही मांडू की वादियों से टकराती है बरबस ही सैलानी मांडू की ओर खिंचे चले आते हैं।

धारJun 06, 2020 / 10:01 am

sarvagya purohit

 पर्यटन को लेकर नहीं छटी धुंध वीरान पड़ी रूपमती की ऐतिहासिक नगरी रसातल में पहुंचा पर्यटन का ग्राफ

पर्यटन को लेकर नहीं छटी धुंध वीरान पड़ी रूपमती की ऐतिहासिक नगरी रसातल में पहुंचा पर्यटन का ग्राफ


पर्यटन को लेकर नहीं छटी धुंध वीरान पड़ी रूपमती की ऐतिहासिक नगरी रसातल में पहुंचा पर्यटन का ग्राफ
– घरेलू पर्यटन को प्रमोट करने का सुनहरा सुनहरा मौका
ग्राउंड रिपोर्ट
कपिल पारीख
मांडू.
कहते हैं कि बारिश की पहली बूंद जैसे ही मांडू की वादियों से टकराती है बरबस ही सैलानी मांडू की ओर खिंचे चले आते हैं। लेकिन इस बार हालात एकदम विपरीत है। ऐतिहासिक महलों पर ताले डले हुए हैं। फूली हुई सांसों के साथ पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यवसाय पर्यटन की रेल पटरी पर लौटने की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं। वर्षा ऋतु में सैलानियों से गुलजार रहने वाली मांडू की हसीन वादियों में इन दिनों वीरानी छाई हुई है। इधर एक्सपट्र्स का कहना है जल्द तस्वीर साफ नहीं हुई तो पर्यटन उद्योग बर्बाद हो जाएगा। वहीं घरेलू पर्यटन को प्रमोट करने के लिए इसे सुनहरा मौका भी बताया जा रहा है। पिछले 75 दिनों से कोरोना संकट के चलते मांडू सहित देशभर के ऐतिहासिक स्मारकों और पर्यटन स्थलों पर ताले पढ़े हुए पर्यटन से जुड़ा एक बड़ा व्यवसायिक वर्ग हाथ पर हाथ धरकर बैठा हुआ है। पिछले 2 साल से यहां आर्थिक मंदी की मार झेल रहे पर्यटन उद्योग को लॉक डाउन ने पूरी तरह धो कर रख दिया है।
पर्यटन का गिरा ग्राफ करोड़ों की आर्थिक हानि
विगत ढाई से रसातल में पहुंच चुके पर्यटन उद्योग के हाल बेहाल है। मार्च के बाद पर्यटन की गतिविधियां बंद होने से पर्यटन का ग्राफ बुरी तरह गिरा है और ऐसा माना जा रहा है कि इस वर्ष आंकड़े बेहद कमजोर होने वाले हैं। पर्यटन से जुड़े लोगों की बात करें तो यहां की सैकड़ों बड़ी-बड़ी होटलें बंद है। इसके चलते कई लोग रोजगार से अपना हाथ धो चुके हैं। बड़ी संख्या में कर्मचारियों को हटाया गया है। यहां ट्रांसपोर्टर और टैक्सी चालकों का धंधा पूरी तरह ठप है। लगभग 80 टूरिस्ट गाइड जिनका परिवार पर्यटन पर निर्भर है। बेहद आर्थिक तंगी की स्थिति में है। महलों के आसपास दुकानें लगाने वाले लगभग 200 से भी ज्यादा परिवार 2 जून की रोटी के लिए संघर्षरत है। करोड़ों रुपए का इंवेस्टमेंट करने वाले बड़े होटल के घराने भी स्थिति को लेकर भविष्य की ओर देख रहे हैं। आर्थिक हालात बेहद खराब हो चुके है।
वर्षा ऋतु में लुभाता है मांडू
वर्षा ऋतु में मांडू सैलानियों का प्रिय स्थल बन जाता है। यहां लगभग 100 से भी ज्यादा ऐतिहासिक स्मारकों के साथ चारों ओर फैली खाईया उनसे उठने वाली धुंध और यहां का अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को बरबस ही अपनी और आकर्षित करता है। ऐसे में घरेलू और विदेशी सैलानियों का यहां जमावड़ा रहता है। वर्षा ऋतु के 4 माह के साथ फरवरी तक यहां लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं पर इन दिनों हालात विपरीत है। रानी रूपमती और बाज बहादुर की यह ऐतिहासिक पर्यटन नगरी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है।
घरेलू पर्यटन के लिए सुनहरा अवसर
मध्य प्रदेश शासन के अधिमान्यता प्राप्त टूरिस्ट गाइड योगेंद्र परिहार का कहना है कि इन सब दिक्कतों के बीच घरेलू पर्यटन के लिए यह संजीवनी भी साबित हो सकता है। विदेशों में घूमने की चाह रखने वाले लोग अब देश के पर्यटन स्थलों की ओर आकर्षित होंगे। अगर पर्यटन मंत्रालय और देश की सरकार घरेलू पर्यटन को लेकर यदि कोई ठोस नीति बनाती है तो यह कारगर प्रयास साबित हो सकता है। पर्यटन के दृष्टिकोण से मध्य प्रदेश और देश बेहद समृद्ध है यहां ऐतिहासिक प्राकृतिक स्थानों की कमी नहीं है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
निराशा से पर्यटन को उभारना होगा
पर्यटन के जानकार नितिन पाल का कहना है कि सभी व्यवसायिक पटरी पर आ रहे हैं और देश भारी राजस्व को फायदा पहुंचाने वाले पर्यटन को लेकर ठोस प्रयास होना चाहिए। पर्यटन से जुड़े लोगों को आर्थिक पैकेज और नवीन योजनाओं के माध्यम से छूट देकर पुन: इस क्षेत्र को मंदी से उबारने होगा। देश के समस्त पर्यटन स्थलों को दिशानिर्देशों के साथ जल्द खोलना चाहिए।

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