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गुरु ही जो शिष्य की प्रतिभा को पहचानता है

locationधारPublished: Jul 16, 2019 11:03:13 am

Submitted by:

sarvagya purohit

गुरु ही जो शिष्य की प्रतिभा को पहचानता है

गुरु ही जो शिष्य की प्रतिभा को पहचानता है

गुरु ही जो शिष्य की प्रतिभा को पहचानता है

सर्वज्ञ पुरोहित
धार.

जिस तरह एक जोहरी हीरों को तराशता है उसे बेशकीमती हीरों बनाकर बाजार में पेश करता है उसी प्रकार एक गुरु ही जो अपने शिष्य को काबिलियत, अनुशासन, समर्पित भाव को देखकर उसे तराशता है। शहर में ऐसे तो कई प्रतिभाएं जो अलग-अलग विधा में अपना, शहर और गुरु का नाम रोशन कर रहे है।आज गुरु पूर्णिमा है और अलग-अलग क्षेत्र जैसे संगीत, नृत्य, शिक्षा और खेल में ऐसे ही गुरु है जिन्होंने शिष्य को तराशा और तराशने का काम बखूबी कर रहे है। आईए हमारी यह रिपोर्ट।
गुरु ही पहचान करता है शिष्य की
नाम- लक्ष्मीकांत जोशी
विधा-संगीत
पंडि़त लक्ष्मीकांत जोशी की संगीत के क्षेत्र में एक अलग ही पहचान है। जोशी ने यहां पर कई शिष्य को ऐसे तराशा जैसे को हीरें को तराशते है जोहरी। जोशी के संगीत एकेडमी से श्वेता जोशी, राजेश्वरी उपाध्याय, जोभसिंह डंग, दीपक खतलकर, संजीवनी मांडे संगीत विधा से जुड़े और इनकी काबिलियत को परखा और इन तैयार किया। इन शिष्यों ने भी प्रतियोगिता, रेडिया, टीवी और कार्यक्रमों में प्रस्तुति देकर अपना नाम तो रोशन किया। साथ ही गुरु की ख्याति को भी बढ़ाया।
शिष्य की क्या है परिभाषा-
पंडि़त जोशी का कहना है कि गुरु ही शिष्य में उसकी काबिलियत को देखता है। वह किस विधा, कौनसे क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना सकता है यह उसे बताता है। इसके साथ ही शिष्य वहीं होता है जिसमें धैर्य, अनुशासन, समर्पण की भावना हो। ये तमाम बाते एक शिष्य में होना आज के युग के लिए बेहद जरुरी है। ये तमाम बातें यदि शिष्य में होती है तो वह बुलंदी को छूता है।
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अच्छी राह दिखाता है गुरु
नाम- वैशाली देशमुख
विधा-नृत्यांगना
वैशाली देशमुख ने नुपूर कला मंदिर के नाम से १९९४ में नृत्य प्रशिक्षण के लिए क्लास का शुभारंभ किया। यहां पर देशमुख कई छात्राओं को आज भी नृत्य में प्रशिक्षण दे रही है। इसके पूर्व भी देशमुख से अमृता जोशी, अंकिता चौहान, नेहा मकवाना, पलक शर्मा, अर्चना शर्मा, अमिषा सोलंकी जैसी युवतियों को नृत्य में प्रशिक्षण दिया और उनकी ये विद्यार्थी राष्ट्रीय पर एक अलग ही पहचान बना रखी है। इसमें तो कई टीवी के साथ अन्य मंचीय कार्यक्रम में प्रस्तुति दे चुकी है।
शिष्य की क्या परिभाषा-
गुरु शिष्य परंपरा का संबंध आत्मा से परमात्मा का मिलन है। गुरु ही शिष्य को अच्छी राह दिखाकर जीवन के मुल उद्देश्य तक लेकर जाता है। गुरु ही शिष्य में नींव डालकर आगे बढऩे और संघर्ष में किस तरह धैर्य नहीं खोने की सलाह देता है। वहीं अच्छे व बूरे का फर्क बताता है जब जाकर १०० में से अर्जुन या फिर एकलव्य जैसे शिष्य निखकर आते है।
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संयम का नाम है गुरु
नाम- सुधीर वर्मा (प्रशिक्षक)
विधा- बैडमिंटन
सुधीर वर्मा ने शहर से कई ऐसी प्रतिभा बैडमिंटन के क्षेत्र में दी जो कि आज अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और जिलास्तर पर अपने नाम रोशन कर रही है। अंतरराष्ट्रीयस्तर पर अमित राठौर, प्रियांशु राजावत, यश रायकवार जैसे खिलाड़ी पहुंचे। वहीं संजय ठाकुर, प्रमेश पाटीदार, अमन रायकवार,आदित्य चौहान, नक्षत्र भाकर, मयूर चौहान, कुबैर वर्मा, कबीर वर्मा नेशनल लेवर पर नाम रोशन कर रहे है। यूं तो वर्मा को कोचिंग देते हुए १० साल का वक्त हो चला है। इसके लिए उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिल चुका है।
शिष्य की क्या है परिभाषा-
वर्मा का कहना है कि एक शिष्य बनाने के लिए संयम की बहुत आवश्यकता होती है। गुरु के लिए शिष्य ही सबकुछ होता है। इसमें गुरु को उसकी कमजोरी को दूर करने के साथ अनुशासन का पाठ पढऩे के अलावा लक्ष्य पर किस तरह केद्रिंत करवाना है यह गुरु ही करता है। गुरु को एक शिष्य के लिए काफी तपस्यिा करना पड़ती है और उसकी मेहनत से शिष्य तैयार होते है।
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समर्पित भाव होना चाहिए
नाम- श्रीकांत द्विेदी
विधा- शिक्षक
श्रीकांत द्विेदी ने शहर में ऐसे कई विद्यार्थियों को शिक्षा दी, जो अलग-अलग क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रहे। इसके अलावा कई ऐसे भी विद्यार्थी है जो सरकारी व प्रायवेट संस्थाओं में अच्छे पद पर काबिज है। आज भी श्रीकांत द्विेदी सर को सभी दादा के नाम ही पुकारता है। उन्होंने भी शिक्षा के क्षेत्र में वे तमाम बातें विद्यार्थियों को सीखाएं जो आज भी विद्यार्थियों के लिए खास रहती है।
शिष्य की क्या है परिभाषा-
शिक्षक श्रीकांत द्विेदी का कहना है शिष्य वहीं होता है जिसमें सीखने की जिज्ञासा हो। उसमें समर्पित भाव होना चाहित ताकि गुरु उसे समर्पित भाव से उसे सीखा सकें। मैं तो बच्चों को यही कहता हूं कि यही समय है जो कभी लौटकर नहीं आएगा और समय पर ही आप तपे तो किसी भी राह पर आप जाएंगे तो आपको किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होगी। इसके साथ ही आप बुलंदी पर पहुंचेगे। यही भाव आज भी शिष्यों में देखता हूं तो मुझे काफी अच्छा लगता है।
ंगुरु मार्गदर्शन देता है
गुरु ही मार्गदर्शन देता है और उसके बताए हुए रास्ते में पर शिष्य कभी नहीं भटकता है। गुरु ही जो आपकी प्रतिभा को निखारता है और आपको प्रोत्साहित व प्रेरित करके आगे बढ़ाने के लिए कहता है। मनुष्य के जीवन में यदि गुरु नहीं है तो उसका महत्व कुछ भी नहीं रहता है। मेरा मानना है कि गुरु का होना सभी के लिए बेहद आवश्यक है।
-आदित्यप्रताप सिंह, एसपी, धार
सही और गलत की पहचान करवाता है
गुरु ही जो शिष्य को सही और गलत की पहचान करवाता है और उसे सही राह पर ले जाए वहीं गुरु है। मेरे लाइफ मंै भी कई गुरु रहे है जिन्होंने समय-समय पर मुझे प्रेरणा दी और मार्गदर्शन प्रदान किया। मेरी मुताबिक जीवन में गुरु का होना बेहद आवश्यक है।
-रुपेशकुमार द्विेदी, एडिशनल एसपी, धार
प्रेरणा देते है गुरु
गुरु ही जो जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा देते है। गुरु हर क्षेत्र में आपको निखारता है और उसके आसीर्वाद के बिना आप जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते है। गुरु ही आपके जीवन को उन्नति का मार्ग बताता है। मनुष्य जीवन में गुरु का होना आवश्यक है।
-संतोष वर्मा, सीईओ, जिला पंचायत, धार
गुरु बिना जीवन अधूरा
जीवन में गुरु ही जो सही और गलत का मार्ग बताने में मदद करता है। गुरु के बिना जीवन अधूरा रहता है। इसके साथ ही गुरु-शिष्य एक-दूसरे के बिना अधूरा है जब इनका मिलन होता है तो ऐसा लगता है आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया।
-ब्रजेशकुमार पांडे, सहायक आयुक्त, जनजातीय विभाग, धार
इंसान बनाता है गुरु
मनुष्य को इंसान बनाने की प्रक्रिया का प्रदशक ही गुरु है। जीवन जीने की कला सीखने वाले, अच्छे और बुरे का बोध करवाने वाला ही गुरु होता है। गुरु के बिना वो है जो मान सीखता है। इसलिए गुरु का जीवन में होना बेहद आवश्यक है।
-संजीव दुबे, डीओ, आबकारी विभाग, धार

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