अस्पताल में प्रवेश पर ही ओपीडी होने व इसके कमरों पर डॉक्टरों के नाम चस्पा होने से उनमें भी पूरे समय मौजूद रहने की मजबूरी बन जाएगी। फिलहाल कौन डॉक्टर कितनी बजे आ रहा है और कितनी बचे जा रहा है इस पर पूरा ध्यान नहीं रह पा रहा है। वहीं कमरे के बाहर ही डॉक्टर का नाम चस्पा होने से उसके ओपीडी समय में वहां मौजूद रहने की मजबूरी भी हो जाएगी। नहीं मिलने पर डॉक्टर की जानकारी निकाली जा सकेगी और बगैर सूचना या जरूरी काम के बगैर गायब रहने पर उसके खिलाफ शिकायत भी की जा सकेगी।
नई ओपीडी का प्रस्ताव बनाकर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन(सीएस) कलेक्टर को कहना चाहते हैं कि कायाकल्प के तहत जिला अस्पताल का सुधारात्मक काम किया जा रहा है।इसके तहत नई ओपीडी का निर्माण भी किया जा सकता है। हालांकि प्रस्ताव अभी कलेक्टर को सौंपना बाकि है, लेकिन इन्हें उम्मीद है कि कलेक्टर को प्रस्ताव अच्छा लगेगा और वे नई ओपीडी के लिए इंतजाम कर देंगे।
प्रस्ताव में सीएस यह भी बताना चाहते हैं कि पुराने मेटरनिटी वार्ड जहां वर्तमान में अस्पताल का स्टोर है के रिनोवेशन पर रकम खर्च करना उचित नहीं होगा। सीएस डॉ. बौरासी का कहना है कि पूर्व में संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल से आए डॉ. कोठारी स्टोर भवन को देखकर इसे अनुपयोगी बताकर तोडऩे के निर्देश दे गए थे। ऐसी जगह वार्ड बनाया जाना मरीजों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होगा।
हमारी योजना है कि स्टोर भवन जो कभी मेटरनिटी वार्ड हुआ करता था खस्ता हो चुका है। एक निरीक्षण के दौरान इसे तोडऩे के निर्देश भी दिए जा चके हैं। यदि नई ओपीडी बन जाए तो ट्रामा सेंटर में खाली हुए कमरों पर प्रसव वार्ड बढ़ाया जा सकेगा। इस तरह का प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर को सौपेंगे, जहां से मजूरी के बाद काम शुरू हो सकता है।
-डॉ. एमके बौरासी, सिविल सर्जन