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जिंक से नाता टूटने पर स्वाद से बेखबर हो जाते हैं बच्चे

locationधारPublished: Jul 22, 2019 11:57:44 am

Submitted by:

atul porwal

जिले के 30 फीसदी बच्चों में नजर आई जिंक की कमी, इसकी कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के साथ ही कमजोर हो जाती है हड्डियां

Dhar

Dhar

धार.
यदि बच्चा चाकलेट और सामान्य मिठाई के स्वाद में फर्क नहीं कर पा रहा है, सूंघने की भी क्षमता खत्म हो रही है तो सावधान…। धार जिले के लगभग 30 फीसदी बच्चों में जिंक की मात्र मानक से कम मिली है। जिले में 2 लाख 53 हजार बच्चों को रजिस्टर कर स्वास्थ्य विभाग ओआरएस व जिंक सप्लीमेंट देने का दावा कर रहा है, लेकिन वास्तविक स्थिति दस्त से जूझ रहे बच्चे बता रहे हैं। डायरिया की पकड़ में आने वाले बच्चों में जिंक की तेजी से कमी शुरू हो जाती है। जिंक की कमी के कारण बुढ़ापे जैसी स्थिति बनती है, वहीं समय पर जिंक का सप्लीमेंट नहीं मिलने से हड्डियां कमजोर पडऩा व रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने जैसी विक्रतियां शुरू हो जाती है।
बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में जिंक की मात्रा घटने से स्वादेंद्रिय और सूंघने की क्षमता वाले एंजाइम बिगडऩे लगते हैं। बच्चों में दिमाग व शरीर के विकास में भी जिंग की महत्वपूर्ण भूमिका है। डयारिया रोग से भी शरीर में जिंक की मात्रा तेजी से घटती है। कुछ समय पूर्व बाहर से आई चिकित्सकों की टीम ने जिले के करीब २०० बच्चों पर जिंक के प्रभाव का शोध किया था। इसमें जिंक की मात्रा घटने में डायरिया की खास भूमिका मिली।
क्या है जिंक
शरीर के विकास में जिंक एक अहम तत्व है, जो सौ से ज्यादा मेटाबोलिक एंजाइम बनाने में खास भूमिका निभाता है। ज्यादातर मात्रा मांसपेशियों और हड्डियों में जमा रहती है। ये बाल, नाखून, त्वचा, लीवर, प्रोटेस्ट ग्लैंड व अन्य अंगों में भी पाया जाता है।
यह है जिंक की खास भूमिका
-रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखना।
-कोशिकाओं के विभाजन में सहायता करना।
-सूंघने और जीभ के स्वाद के लिए जरूरी एंजाइम बनाने में सहायक।
-घाव को तेजी से भरने में सहायक।

शाकाहारी भोजन पीछे
शाकाहारी भोजन में शरीर जिंक का पूरी तरह अवशेषण नहीं कर पाता है। धार जिले की आधा दर्जन लैबों की रिपोर्ट बताती है कि बच्चों के साथ ही वयस्कों में भी जिंक, विटामिन-बी12 एवं विटामिन डी-3 की भी भारी कमी मिल रही है। सोयाबीन, मेवा, फल एवं अन्य स्त्रोतों में विटामिन तो मिल जाते हैं, लेकिन इससे कई बार शरीर की जिंक सोखने की क्षमता बिगड़ जाती है। ऐसे में डॉक्टर बीन्स एवं मंूगफली जैसी चीजों को भिगोकर खाने की सलाह देते हैं। गर्भस्थ शिशु से लेकर व्यक्ति के बुढ़ापे तक जिंक का असर बना रहता है।
उम्रवार यह है जिंक की मानक मात्रा
उम्र मेल फिमेल
0-6 माह 2 मिलीग्राम 2 मिलीग्राम
5-12 माह 3 मिलीग्राम 3 मिलीग्राम
1-8 साल 5 मिलीग्राम 5 मिलीग्राम
9-13 साल 8 मिलीग्राम 8 मिलीग्राम
14-18 साल 11 मिलीग्राम 9 मिलीग्राम
गर्भावस्था में 12 मिलीग्राम जिंक होना आवश्यक है।
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