न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार यह मामला बोराई थाना क्षेत्र की है। सरकारी वकील गजानंद मीनपाल ने बताया कि दो साल पहले 28 जुलाई 2022 की रात ग्राम कोटपारा बोराई निवासी जगमोती समरथ गोदी खनन का पैसा लेने के लिए एक किसान के घर गई थी, तभी घर में मौजूद उसके पति धनसिंग समरथ का पुत्र नरेश कुमार के साथ विवाद हो गया। पिता ने अपने बेटे को घर से बाहर जाने से मना किया। यह बात पुत्र नरेश को नागवार गुजरा और पिता से विवाद करने लगा। बात बढ़ने के बाद तैश में आकर पुत्र ने अपने पिता पर डंडे से प्राण घातक वार कर दिया।
डंडे से कई बार वार करने से पिता की मौके पर ही मौत हो गई। जगमोती बाई जब वापस आई, तब घर का नजारा देखकर उसके होश गुम हो गए। इसकी सूचना उसने बोराई थाने में दी। इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा कार्रवाई की। युवक को गिरतार कर विवेचना बाद पुलिस ने केस डायरी न्यायालय में प्रस्तुत किया। मामले की अंतिम सुनवाई अपर सत्र न्यायालय में हुई। न्यायाधीश उषा गेंदले ने मामले में सारे सबूतों को देखने और गवाहों को सुनने के बाद अभियुक्त नरेश कुमार समरथ (23) पिता स्व. धनसिंग समरथ ग्राम कोटपारा बोराई को दोषसिद्ध करार दिया।
सजा एक नजर में इसके बाद अपर सत्र न्यायालय ने धारा 302 के तहत अभियुक्त नरेश समरथ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही एक हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड अदा नहीं करने पर छह माह अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा। इसी तरह धारा 323 के तहत एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं 200 रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई।